पंजाब का गिरा मान……!
अमृतसर।पंजाब में एक नौसिखिया पार्टी भारी बहुमत में आ गयी। केजरीवाल की हाथ की सफाई से मगर क्या हुआ,उनके नामित पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से…..? पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की घटना पर गौर कर लें। पवित्र गुरुद्वारा दमदमा साहिब में बैसाखी पर्व (14 अप्रैल) पर माथा टेकने मुख्यमंत्री मान गये थे। नशे में धुत पाये गये, दैनिक ट्रिब्यून तथा जागरण में समाचार छपा था। टीवी चैनलों से भी प्रसारित हुआ था। भाजपा सांसद तेजिंदर सिंह बग्गा ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी है। शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक समिति ने सिख संगत की मर्यादा भंग करने पर मान से क्षमा प्रार्थना की मांग की है। पूर्व अकाली मुख्यमंत्री सुखवीर सिंह बादल ने कार्रवाही की अपील की है। हालांकि सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी ने इस घटना को नकारा है।
पवित्र गुरुग्रंथ साहिब में निर्देश है कि मदिरा पान पाप है। उनके साथी और साक्षी बताते हैं कि मुख्यमंत्री मान शराब के अगाध प्रेमी है। बिना हया या हिचक के कई बार शराब छोड़ने की कसमें-वायदे कर चुके हैं।जब वे सांसद थे (दो बार रहे), मान द्वारा नशे की अवस्था में सदन में आने की शिकायत सदस्य हरिन्दर सिंह खालसा ने अध्यक्षा श्रीमती सुमित्रा महाजन से किया था। अर्थात आदत है, पुरानी भी। मगर गत विधानसभा चुनाव में अपने माता श्री की वे सौगंध खा चुके थे कि अब नहीं पर रुके भी नहीं।
मान की शिकायत के अलावा, कई अकाली नेता भी आरोप लगा चुके हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री और मान के नेता अरविन्द केजरीवाल चण्डीगढ़ में पंजाब सरकार के आला अफसरों से सीधे वार्ता और तबादला भी करते है। प्रशासनिक तौर यह औचित्यहीन है कदाचित नयी शासकीय आचार संहिता केजरीवाल रच रहे है। भगवंत मान की हरकतें अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों पर असर डालेंगी। गुजरात, हिमाचल आदि राज्यों में आम आदमी पार्टी ऐलानिया तौर पर अभियान करेगी। क्या वहां भी मान जैसे मुख्यमंत्री को पेश किया जायेगा जो अपना मान बचा नहीं पाये और न ही गुरुग्रंथ साहिबा का ही मान रख पाये।
अब निर्भर करता हैअरविन्द केजरीवाल क्या नयी मगर विकृत कार्य-संस्कृत को अपनायेंगे या ………?
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