आज 1 अगस्त को गुरु प्रदोष व्रत पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है, जाने दैनिक पंचांग

गुरु प्रदोष व्रत पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है, जाने दैनिक पंचांग
प्रदोष व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। गुरु प्रदोष व्रत पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं.

ज्योतिषीय गणना के अनुसार, 01 अगस्त यानी आज गुरु प्रदोष व्रत है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित होता है। इस अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा की जा रही है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही शत्रु भय भी दूर होता है। आइएए जानते हैं आज का पंचांग एवं राहुकाल जानते हैं.

पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि आज दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक है। इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। त्रयोदशी तिथि 02 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 01 अगस्त को प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

योग

ज्योतिषियों की मानें तो गुरु प्रदोष व्रत पर हर्षण योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 12 बजकर 55 मिनट पर हो रहा है। ज्योतिष हर्षण योग को शुभ मानते हैं। वहीं, इस तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। शिववास योग दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक है। इस समय तक भगवान शिव नंदी पर विराजमान रहेंगे। इस दौरान साधक भगवान की पूजा-उपासना कर सकते हैं। कामिका एकादशी पर तैतिल और गर करण का भी निर्माण हो रहा है। वहीं, मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है।

पंचांग
सूर्योदय – सुबह 05 बजकर 58 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 07 बजकर 09 मिनट पर

चन्द्रोदय – देर रात 03 बजकर 36 मिनट पर

चंद्रास्त – दोपहर 04 बजकर 58 मिनट पर

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 14 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 38 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 07 बजकर 09 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12 बजकर 12 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक

अशुभ समय

राहु काल – दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से 03 बजकर 51 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 09 बजकर 15 मिनट से 10 बजकर 54 मिनट तक

दिशा शूल – दक्षिण

ताराबल

भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल
मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर

अस्वीकरण : इस लेख में बताए गए उपाय/लाभध/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। Gnewshunt.com न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियोंध/पंचांगध/प्रवचनोंध/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।

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