सम्पादकीय

फ्रांस के नेता ने ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ वापस मांगी, अमेरिका ने जवाब दिया – “हम न होते तो ये…”

डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी और टैरिफ में बढ़ोतरी के बाद से अमेरिका और यूरोप के बीच के संबंध लगातार तनावपूर्ण होते चले जा रहे हैं। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब एक दूसरों को दिए गए तोहफे को भी वापस लेने की मांग की जाने लगी है। जानकारी के मुताबिक, फ्रांस के एक नेता ने अमेरिका से प्रसिद्ध स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को वापस करने की मांग कर दी है। हालांकि, अमेरिका ने इस मांग पर तीखा जवाब दिया है।

 

…तो आप जर्मन बोल रहे होते-  कैरोलिन लेविट

फ्रांसीसी राजनेता द्वारा अमेरिका से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी को वापस करने की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा- “बिल्कुल नहीं। उस फ्रांसीसी राजनेता को मेरी सलाह होगी कि उन्हें याद दिलाएं कि यह सिर्फ अमेरिका ही वो वजह से है कि फ्रांस के लोग अभी जर्मन नहीं बोल रहे हैं। उन्हें हमारे महान देश का आभारी होना चाहिए।”

क्यों दिया गया जर्मन भाषा का उदाहरण?

दरअसल, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की नाजी सेना ने काफी कम समय में फ्रांस पर जीत हासिल कर ली थी। माना जाता है कि फ्रांस की सेना ने हिटलर की सेना के सामने सरेंडर कर दिया था। जर्मनी ने पेरिस समेत फ्रांस के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था और वहां अपनी पसंद की सरकार भी बनवा दी थी। साल 1944 में मित्र राष्ट्रों के आक्रमण के बाद फ्रांस को आजादी मिली। इसमें अमेरिकी सेना का अहम योगदान था।

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