मुजफ्फरनगर में बढ़ता प्रदूषण, फैक्ट्रियों से निकल रहा जहरीला धुआं: पर्यावरण के लिए चिमनियां बनीं बड़ा खतरा, AQI 133 तक पहुंचा

एक ओर जहां मुजफ्फरनगर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर यह जिला अब प्रदूषण के खतरनाक स्तर के कारण सुर्खियों में है। जिले का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI खतरनाक येलो कैटेगरी में पहुंच गया है और आज AQI 133 तक रिकॉर्ड किया गया।
यह स्थिति न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि मुजफ्फरनगर देश के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 18वें स्थान पर है। इसके बावजूद, कुछ फैक्ट्री मालिक अपनी गतिविधियों पर लगाम लगाने को तैयार नहीं हैं, जिससे हालात और गंभीर होते जा रहे हैं।
फैक्टरियों की चिमनियों से जहर शुक्रवार को जौली रोड पर स्थित कृष्णाचल पेपर मिल की चिमनी से एक बार फिर खतरनाक और जहरीला धुआं निकलते देखा गया। यह काला धुआं न केवल आसपास के इलाकों में फैल रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है। इस घटना को कैमरे में रिकॉर्ड किया गया, जिसने प्रदूषण के इस बेलगाम रवैये को उजागर किया। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई का अभाव सवाल खड़े करता है।
AQI का खतरनाक स्तर आज के आंकड़ों के मुताबिक, मुजफ्फरनगर का AQI 133 तक पहुंच गया है, जो येलो कैटेगरी में आता है। यह स्तर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक माना जाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रदूषण का यह स्तर बढ़ता रहा, तो यह जल्द ही रेड कैटेगरी में पहुंच सकता है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य संकट और गंभीर हो सकता है। देश के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में मुजफ्फरनगर का 18वां स्थान इस बात का सबूत है कि जिले में प्रदूषण अब एक गंभीर समस्या बन चुका है।
फैक्ट्री मालिकों की लापरवाही प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर के बावजूद, कुछ फैक्ट्री मालिक अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं। कृष्णाचल पेपर मिल जैसे उद्योग लगातार जहरीला धुआं उगल रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि आसपास रहने वाले लोगों का जीवन भी खतरे में पड़ रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि चिमनियों से निकलने वाला यह धुआं सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है। फिर भी, इन फैक्ट्रियों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है।
पर्यावरण और हेल्थ पर असर फैक्टरियों की चिमनियों से निकलने वाला यह जहरीला धुआं वायु प्रदूषण का प्रमुख स्रोत बन गया है। इसमें मौजूद हानिकारक कण (PM 2.5 और PM 10) फेफड़ों में प्रवेश कर गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
इसके अलावा, यह धुआं मिट्टी और पानी को भी दूषित कर रहा है, जिससे कृषि और जल संसाधनों पर भी बुरा असर पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इस समस्या की गंभीरता को समझना होगा और तत्काल कदम उठाने होंगे।
प्रशासन की चुप्पी प्रदूषण के इस बढ़ते स्तर और फैक्टरियों की लापरवाही के बावजूद, जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। लोगों का आरोप है कि नियमों का पालन न करने वाली फैक्ट्रियों पर नकेल कसने के बजाय, प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक मुजफ्फरनगर के लोग इस जहरीले माहौल में सांस लेने को मजबूर रहेंगे?