नोएडा फार्म हाउस घोटाला ED की रडार पर, CAG ने बताया 2000 करोड़ का राजस्व नुकसान, 157 मामलों की सूची बनाकर जांच शुरू 

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सेक्टर-6 स्थित नोएडा प्राधिकरण का प्रशासनिक खंड का कार्यालय।

हैसिंडा से जुड़े लोटस 300 प्रोजेक्ट मामले में ED ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। अब इसका दायरा पूर्व शासन काल में हुए फॉर्म हाउस घोटाला तक पहुंच गए है। जिसमें अधिकारियों ने साठगांठ करके करीब 2000 करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान पहुंचाया था।

आवंटियों को सस्ती दरों पर फॉर्म हाउस आवंटित किए गए। ऐसे करीब 157 फॉर्म हाउस की लिस्टिंग ईडी ने की है। इसकी फाइलों का बंच भी प्राधिकरण से मांगा गया है। जाहिर है ईडी लोटस-300 और उससे जुड़े किसी भी मामले में ढील बरतने वाली नहीं है।

जिस समय फॉर्म हाउस घोटाला किया गया मोहिंदर सिंह ही नोएडा प्राधिकरण के सीईओ थे। उस समय थ्री सी के डायरेक्टर निर्मल सिंह और पूर्व सीईओ की बेहतर गठजोड़ था।

ईडी पहले ही इस मामले में काफी तथ्य सामने ला चुकी है। बताया गया कि दोनों का आपस में पारिवारिक रिश्ता भी है। फिलहाल ईडी अब फॉर्म हाउस आवंटन घोटाले से जुड़े दस्तावेजों और उससे जुड़े अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है। 2000 करोड़ रुपए का फॉर्म हाउस घोटाला यमुना किनारे योजना लाकर सस्ते दामों पर फॉर्म हाउस आवंटित किए गए। प्राधिकरण ने दो बार 2008 और 2010 में ओपन एंड स्कीम के तहत फार्महाउस योजना निकाली।

दोनों बार में 305 आवेदन स्वीकार किए गए। इसमें से 157 आवंटियों को 18 लाख 37 हजार 340 वर्गमीटर भूखंड आवंटन किया गया।

सीएजी के रिपोर्ट में दिखा घोटाला सीएजी ने दिखाया कि 2008-09 में 22 आवंटियों को 3100 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से भूखंड आवंटित किए। जबकि उस समय प्रचलित दर 15 हजार 914 रुपए थी। इसी दर से 2009-10 में भी 43 भूखंडों का आवंटन किया गया।

उस दौरान प्रचलित दर 16 हजार 996 रुपए थी। 2010-11 में 83 भूखंडों का आंवटन 3500 रुपए के हिसाब से किया गया। जबकि दर 17 हजार 556 रुपए थी। ये घोटाला करीब 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का था।

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