पौधरोपण अभियान की हकीकत: बलिया में लगाए गए सैकड़ों पौधे देखरेख के अभाव में सूख गए

बलिया में पर्यावरण संरक्षण के नाम पर चल रहे पौधरोपण अभियान की पोल खुल गई है। पिछले पांच-छह वर्षों से जिले में सरकारी संस्थानों और निजी संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर पौधे लगाए जा रहे हैं। लेकिन देखरेख और सिंचाई के अभाव में ये पौधे एक-दो महीने में ही सूख जाते हैं।
माल्देपुर तीराहे की स्थिति इसका ताजा उदाहरण है। यहां पिछले साल वन विभाग बलिया ने 110 पौधों का रोपण किया था। स्थानीय निवासी अविनाश कुमार राय के अनुसार, आज वहां एक भी पौधा जीवित नहीं है। पूरी जमीन खाली पड़ी है।
सामाजिक वन विभाग हर साल लाखों पौधे लगाने का दावा करता है। लेकिन यह अभियान महज औपचारिकता बनकर रह गया है। सरकार ‘पेड़ लगाओ, पानी बरसाओ’ जैसे नारे तो देती है, लेकिन धरातल पर स्थिति अलग है।
वन मित्रों द्वारा समय पर देखभाल न करने के कारण पौधों का अस्तित्व खतरे में है। इस स्थिति के लिए वन विभाग और जिला प्रशासन दोनों जिम्मेदार हैं। पौधरोपण पर किया गया खर्च भी व्यर्थ जा रहा है। अगर नियमित देखभाल होती, तो आज माल्देपुर क्षेत्र हरियाली से भरा होता।