कुशीनगर के महापरिनिर्वाण स्तूप पर सुरक्षा संकट: 8 साल पुरानी लकड़ी की रेलिंग जर्जर हालत में, पर्यटकों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह रेलिंग स्तूप की सुरक्षा और सौंदर्य को बनाए रखने के लिए लगवाई थी। इसका उद्देश्य पर्यटकों को स्तूप पर लिखने और नुकसान पहुंचाने से रोकना था। रखरखाव न होने से रेलिंग अब कभी भी गिर सकती है।
अंतरराष्ट्रीय शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष भिक्षु महेंद्र थेरो और भंते अशोक ने भापुस से तुरंत कार्रवाई करने को कहा है। भापुस के उप अंचल कुशीनगर के संरक्षण सहायक शादाब खान ने समस्या को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश मिलते ही रेलिंग की मरम्मत या नवीनीकरण शुरू कर दिया जाएगा।
सम्राट अशोक ने 5वीं शताब्दी ईसा पूर्व में महापरिनिर्वाण स्तूप का निर्माण करवाया था। यह स्तूप कुशीनगर में है, जहां भगवान बुद्ध को महापरिनिर्वाण प्राप्त हुआ था। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1956 में भारत सरकार ने करवाया। यह बुद्ध के महापरिनिर्वाण के 2500 वर्ष पूरे होने के अवसर पर हुआ। स्तूप बौद्ध धर्म के अनुयायियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है।