भारत-चीन सीमा विवाद से लेकर व्यापारिक अड़चनों तक, जानें जयशंकर और वांग यी की बैठक में किन-किन विषयों पर हुई चर्चा

बैठक के बाद एस. जयशंकर ने बताया कि द्विपक्षीय संबंध इस आधार पर सकारात्मक रूप में विकसित हो सकते हैं कि मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा संघर्ष में बदलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि संबंध केवल पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक हित और पारस्परिक संवेदनशीलता के आधार पर ही बनाए जा सकते हैं.
इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई चर्चा
जयशंकर ने चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग के साथ वार्ता की और कहा कि भारत-चीन संबंधों के निरंतर सामान्य बने रहने से पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त हो सकते हैं और ‘जटिल’ वैश्विक स्थिति के मद्देनजर दोनों पड़ोसी देशों के बीच विचारों का खुला आदान-प्रदान बहुत जरूरी है.
1. ‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापार उपायों पर जोर
वांग के साथ बैठक में अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने ‘प्रतिबंधात्मक’ व्यापार उपायों और ‘बाधाओं’ से बचने की आवश्यकता पर जोर दिया, जो महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात के साथ-साथ उर्वरकों की आपूर्ति से संबंधित मुद्दों पर बीजिंग के दृष्टिकोण के स्पष्ट संदर्भ में था.
उन्होंने कहा, ‘यह सीमा पर तनाव के समाधान और वहां शांति बनाए रखने की हमारी क्षमता का परिणाम है. यह आपसी रणनीतिक विश्वास और द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास का मूलभूत आधार है. अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम तनाव कम करने सहित सीमा से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दें.’
2. संपर्कों को सामान्य बनाने की जरूरत
उन्होंने कहा, ‘पड़ोसी देशों और आज विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, हमारे संबंधों के विविध पहलू और आयाम हैं. हमारे लोगों के बीच संपर्क को सामान्य बनाने की दिशा में उठाए गए कदम निश्चित रूप से पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं.’ जयशंकर ने कहा, ‘इस संदर्भ में यह भी आवश्यक है कि प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों और बाधाओं से बचा जाए. मुझे उम्मीद है कि इन मुद्दों पर और विस्तार से चर्चा होगी.’
3. संबंधों को सकारात्मक दिशा
एस. जयशंकर ने वांग के साथ बैठक में दोनों देशों के सम्बन्धों पर भी चर्चा की. उन्होंने कहा, ‘हम पहले भी इस बात पर सहमत हुए हैं कि मतभेद विवाद नहीं बनने चाहिए और न ही प्रतिस्पर्धा कभी संघर्ष में बदलनी चाहिए. इस आधार पर, हम अब अपने संबंधों को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं.’
जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के लिए दोनों पक्षों को दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है. उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में कजान में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक के बारे में भी बात की.
4. अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में रणनीतिक संवाद
जयशंकर ने कहा, ‘हाल के दिनों में, हम दोनों को अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में मिलने और रणनीतिक संवाद करने के कई अवसर मिले हैं. हमारी उम्मीद है कि अब यह नियमित होगा और एक-दूसरे के देशों में होगा.’ विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों ने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई है और 5 साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने की सराहना की.
5. एलएसी पर शांति और सौहार्द
इस बैठक में विदेश मंत्री ने भारत-चीन सीमा को लेकर भी बात की. मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर ने द्विपक्षीय संबंधों के सुचारू विकास के लिए सीमा पर शांति और सौहार्द के ‘सकारात्मक प्रभाव’ पर भी प्रकाश डाला और तनाव कम करने और सीमा प्रबंधन की दिशा में निरंतर प्रयासों का समर्थन किया.
6. क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा
जयशंकर और वांग ने साझा हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की और द्विपक्षीय यात्राओं और बैठकों सहित संपर्क में बने रहने पर सहमति व्यक्त की. विदेश मंत्री ने चीनी पक्ष को एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारत अच्छे परिणाम और निर्णय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
वांग और हान के अलावा जयशंकर ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग के मंत्री लियू जियानचाओ से भी मुलाकात की. जयशंकर की इस यात्रा से तीन सप्ताह से भी कम समय पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीनी बंदरगाह शहर किंगदाओ की यात्रा की थी.