अंतर्राष्ट्रीय

‘डिग्री चाहिए तो खून दो’… छात्रों पर बढ़ा दबाव, ताइवान में महिला कोच को क्यों कहा जाने लगा ‘वैंपायर’?

ताइवान में एक महिला फुटबॉल कोच पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने छात्राओं को ग्रेजुएशन के जरूरी क्रेडिट्स के बदले 200 से ज्यादा बार खून देने के लिए मजबूर किया. इस सनसनीखेज मामले ने देशभर में आक्रोश फैला दिया है.

छात्रा ने किया खुलासा
नेशनल ताइवान नॉर्मल यूनिवर्सिटी (NTNU) की एक छात्रा ‘जियान’ ने सोशल मीडिया पर बताया कि कोच झोउ ताई-यिंग ने उन्हें कई बार दिन में तीन बार खून देने को मजबूर किया. सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खून लिया जाता था. जियान ने कहा, ‘आठवें दिन के बाद मेरी बाजुओं में नसें नहीं मिल रही थीं. कलाई पर कोशिश की गई, दर्द असहनीय था. छह बार फेल होने के बाद ही ब्लड निकाल सके.’ उन्होंने इसका वीडियो भी पोस्ट किया जिसमें वह रोती नजर आ रही हैं.

अन्य छात्राएं भी आईं सामने
एक अन्य छात्रा ने बताया कि कोच की बदसलूकी से तंग आकर उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी. उसने कहा कि वो अपने पिता को कभी ये सच नहीं बता पाई और अब वो इस दुनिया में नहीं हैं. ‘शायद अगले जन्म में माफ कर पाऊं.’

कोच को हटाया गया, माफी मांगी
इस घटना के सामने आने के बाद, विश्वविद्यालय ने 13 जुलाई को घोषणा की कि झोउ को उनके प्रशासनिक और कोचिंग पदों से बर्खास्त कर दिया गया है और उन्हें किसी भी खेल टीम का नेतृत्व करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है. झोउ से एक माफीनामा भी लिखवाया गया. उन्होंने लिखा, ‘मैं उन छात्रों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए दिल से माफी मांगती हूं. छात्रों को हुए भावनात्मक आघात के लिए मुझे गहरा पछतावा है और मैं आप सभी से क्षमा मांगती हूं.’ हालांकि, यह घोषणा और माफीनामा बाद में विश्वविद्यालय के सोशल मीडिया पेज से हटा दिए गए.

सवालों के घेरे में यूनिवर्सिटी और शिक्षा विभाग
स्थानीय शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी को सुधारात्मक कार्रवाई का आदेश दिया है. लेकिन लोगों का कहना है कि सिर्फ कोच को हटाना काफी नहीं है. कई लोग पूछ रहे हैं- ‘आखिर ब्लड डोनेशन से किसको फायदा हो रहा था?’

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