चार साल में 2000 से अधिक तकनीकी खामियाँ, एयर इंडिया सबसे ज़्यादा प्रभावित

सबसे अधिक चौंकाने वाला पहलू यह है कि इन खामियों में एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानें सबसे आगे रही हैं। केवल वर्ष 2024 में ही एयर इंडिया समूह की फ्लाइट्स में 250 से ज्यादा तकनीकी दिक्कतें दर्ज की गईं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि देश की सबसे पुरानी विमानन कंपनी को अपने तकनीकी सिस्टम पर और गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है।
क्या होती हैं तकनीकी खामियां?
तकनीकी खामियां जैसे इंजन में खराबी, सॉफ़्टवेयर में दिक्कत, लैंडिंग गियर में गड़बड़ी, या उड़ान के दौरान किसी सिस्टम से अलर्ट आना—ये सभी घटनाएं इस श्रेणी में आती हैं। हालांकि DGCA का कहना है कि अधिकतर गड़बड़ियां उड़ान से पहले ही ठीक कर दी गई थीं और यात्रियों की सुरक्षा पर कोई खतरा नहीं आया।
DGCA की निगरानी और सुधार प्रक्रिया:
DGCA अब ज्यादा सख्ती से इन मामलों की जांच करता है और एयरलाइनों को आवश्यक सुधार करने के निर्देश देता है। इसके लिए वह कई उपाय अपनाता है:
-
स्पॉट चेक
-
नाइट सर्विलांस
-
फ्लाइट रिकॉर्डिंग और रिपोर्ट की जांच
अंतरराष्ट्रीय मानकों की ओर कदम:
DGCA ने अमेरिका की फेडरल एविएशन एजेंसी (FAA) जैसे अंतरराष्ट्रीय निकायों के मानकों को अपनाना शुरू कर दिया है, जिससे भारत में विमान सुरक्षा प्रणाली को और बेहतर किया जा सके।
शिकायतें भी बड़ी चिंता का कारण:
तकनीकी गड़बड़ियों के साथ-साथ यात्री शिकायतों की संख्या भी लगातार बनी हुई है। वर्ष 2023 में DGCA को कुल 5513 शिकायतें मिली थीं, जबकि 2025 में अब तक (14 जुलाई तक) 3925 शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। ये शिकायतें अधिकतर फ्लाइट लेट होने, रिफंड में परेशानी, खराब ग्राहक सेवा और उड़ान के दौरान सुविधाओं की कमी को लेकर होती हैं।
मुख्य आंकड़े एक नजर में:
-
2021–2025 के बीच तकनीकी खामियां: 2000+
-
सबसे ज्यादा खामियां: एयर इंडिया + एयर इंडिया एक्सप्रेस
-
2024 में एयर इंडिया समूह की तकनीकी खामियां: 250+
-
2025 में अब तक की खामियां: 183
-
2023 में शिकायतें: 5513
-
2025 में (14 जुलाई तक): 3925
सरकार और DGCA की ओर से प्रयास लगातार जारी हैं, लेकिन जब तक एयरलाइंस स्तर पर व्यापक सुधार नहीं करतीं, यात्रियों की सुरक्षा और संतोष दोनों पर असर पड़ता रहेगा।