भारत ने CPEC विस्तार योजना पर जताई नाराजगी, अफगानिस्तान को लेकर दी कड़ी प्रतिक्रिया

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भारत सरकार ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को अफगानिस्तान तक बढ़ाने की योजना पर सख्त ऐतराज जताया है। 21 मई 2025 को बीजिंग में चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हुई त्रिपक्षीय बैठक को लेकर राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारत ने अपना रुख दोहराया और कहा कि यह योजना पूरी तरह अस्वीकार्य है।

चीन-पाक-अफगान बैठक पर भारत की नजर

वाईएसआर कांग्रेस के सांसद गोल्ला बाबूराव के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत को इस त्रिपक्षीय बैठक और उसमें CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तार देने पर बनी सहमति की पूरी जानकारी है। भारत सरकार लगातार ऐसे घटनाक्रमों पर नजर बनाए हुए है जो देश की सुरक्षा से जुड़े हुए हैं।

भारत का स्थायी और स्पष्ट विरोध

केंद्र सरकार ने दोहराया कि CPEC भारत के उस भूभाग से होकर गुजरता है जो अवैध रूप से पाकिस्तान के कब्जे में है। ऐसे में यह परियोजना भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है। भारत ने इस पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है और इससे जुड़ी गतिविधियों को रोकने के लिए भी संबंधित पक्षों को सचेत किया है।

तीसरे देशों की भागीदारी अस्वीकार्य

भारत ने साफ किया कि इस गलियारे में किसी तीसरे देश को शामिल करना या इसका विस्तार तीसरे देशों तक करना स्वीकार नहीं किया जा सकता। भले ही जवाब में किसी देश का नाम न लिया गया हो, लेकिन संकेत साफ हैं कि भारत का इशारा अफगानिस्तान की ओर है, जिसे हालिया बैठक में शामिल किया गया था।

भारत की सुरक्षा सर्वोपरि

विदेश राज्य मंत्री ने आश्वासन दिया कि भारत की सुरक्षा और हितों से जुड़े किसी भी प्रयास को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। सरकार सतर्क है और जरूरत पड़ने पर सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

बैठक में क्या हुआ था?

21 मई को बीजिंग में हुई बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार और अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी शामिल हुए थे। बैठक में CPEC को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने का निर्णय लिया गया था।

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