अंतर्राष्ट्रीय

मालदीव: बौद्ध धर्म से इस्लाम तक की ऐतिहासिक यात्रा, 900 साल पुरानी कहानी

मालदीव आज भले ही अपने खूबसूरत बीच और लग्ज़री रिसॉर्ट्स के लिए जाना जाता है, लेकिन एक समय था जब यह देश पूरी तरह से बौद्ध धर्म को मानता था। लगभग 900 साल पहले, यहां एक ऐसा ऐतिहासिक मोड़ आया जिसने मालदीव की धार्मिक पहचान को हमेशा के लिए बदल दिया।

पहले बौद्ध धर्म था मुख्य आधार

तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बौद्ध धर्म मालदीव पहुंचा और कई सदियों तक यहां का प्रमुख धर्म बना रहा। आज भी कुछ द्वीपों पर बौद्ध स्तूप और प्राचीन अवशेष देखे जा सकते हैं, जो इस दौर की याद दिलाते हैं।

12वीं सदी में आया इस्लाम

करीब 12वीं शताब्दी में एक इस्लामी विद्वान अबू अल-बरकत यूसुफ अल-बरबरी मालदीव पहुंचे। माना जाता है कि उन्होंने राजा धोवेमी को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया। राजा ने इस्लाम कबूल किया और ‘सुल्तान मुहम्मद अल-आदिल’ के नाम से जाने जाने लगे। इसके बाद पूरे देश में इस्लाम का प्रसार होने लगा।

धर्म परिवर्तन के बाद क्या बदला?

इस्लाम को अपनाने के बाद मालदीव की शासन व्यवस्था, कानून, और सामाजिक जीवन में बड़े बदलाव आए। शरिया कानून को न्याय व्यवस्था का आधार बनाया गया, और धार्मिक रीति-रिवाज समाज में गहराई से शामिल हो गए। मालदीव कई शताब्दियों तक एक इस्लामी सल्तनत रहा और 1968 में यह एक गणराज्य बना।

आज का मालदीव

मालदीव आज आधुनिक पर्यटन और पारंपरिक इस्लामी संस्कृति का अनोखा संगम है। यहां मस्जिदें केवल धार्मिक स्थल नहीं बल्कि सामाजिक जीवन का भी अहम हिस्सा हैं।

मुस्लिम टूरिज्म का पसंदीदा ठिकाना

मालदीव अब मुस्लिम पर्यटकों के बीच भी खासा लोकप्रिय है। यहां हलाल भोजन, प्राइवेट विला, नमाज की सुविधा और इस्लामी जीवनशैली को ध्यान में रखकर सेवाएं दी जाती हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button