रामनगर में निकाला गया 18 बनी हाशिम का जुलूस: देर रात तक जायरीनों ने की जियारत, शहर की अंजुमनों ने किया नौहा और मातम 

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इमाम हुसैन और उनके परिजनों की याद में निकाला गया 18 बनी हाशिम का जुलूस

वाराणसी के रामनगर स्थित टेंगरा मोड़ के इमामबाड़ा हसन बाग में इमाम हुसैन और उनके 17 परिजनों की याद में 18 बनी हाशिम के ताबूत का जुलूस उठाया गया। यह जुलूस परंपरागत तरीके से मशालों की रोशनी में निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए।

जुलूस से पहले मजलिस का आयोजन किया गया, जिसे रांची से पधारे मौलाना तहजीबुल हसन ने संबोधित किया। मजलिस के बाद मातमी धुनों और नौहों के बीच जुलूस निकाला गया, जिसमें शहर की विभिन्न अंजुमनों ने शिरकत कर नौहा और मातम किया।

इमाम हुसैन की शहादत पढ़ी मजलिस में मौलाना तहजीबुल हसन ने इमाम हुसैन की शहादत पढ़ी। उन्होंने बताया- इमाम हुसैन और उनके घर के 18 सदस्यों को भी उस दौर के आतंकवादी यजीद की फौज ने कर्बला के मैदान में तीन दिन का भूखा-प्यासा शहीद किया था। जबकि वो जानते थे कि इमाम हुसैन के नाना पैगंबर मोहम्मद साहब हैं।

इसके बावजूद उन्होंने इमाम के 6 महीने के बेटे को भी नहीं बक्शा और पानी की जगह उसे तीन फल के तीर से शहीद कर दिया। ये सुनकर वहां बैठे लोग जारो कतार रोने लगे।

देर रात हुई 18 ताबूत, अलम और दुलदुल की जियारत मजलिस के बाद अंजुमनों ने नौहाख्वानी व मातम किया। देर रात जायरीनों को मशाल की रौशनी में 18 ताबूतों की जियारत कराई गई। इस दौरान 6 महीने के अली असगर का झूला उठाया गया। झूले की जियारत कर जायरीन रोने लगे।

इमाम हुसैन अपने इस बेटे के लिए पानी मांगने के लिए जंग के मैदान में पहुंचे थे जब हुरमुला नाम के आतंकी ने उसे पानी के बदले ऊंट को मारने वाले तीर से शहीद कर दिया था।

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