नागपंचमी पर काशी के अखाड़ों में होगा दंगल: स्वामीनाथ अखाड़े में लड़कों से भिड़ेंगी लड़कियां, काशी में होते हैं सात नागों के दर्शन 

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नागपंचमी पर अखाड़ों में दिखेगा जोश — लड़कियां लड़ेंगी लड़कों से दंगल, काशी में तैयारियां चरम पर

काशी नगरी में नागपंचमी का पर्व इस बार भी पारंपरिक उत्साह, आस्था और ऊर्जा के साथ मनाया जाएगा। पर्व को लेकर घाटों, मंदिरों और विशेष रूप से अखाड़ों में तैयारियां जोरों पर हैं। ऐतिहासिक परंपरा के तहत इस अवसर पर देशभर से आए पहलवानों के बीच दंगलों का आयोजन किया जाएगा।

इस बार की खास बात यह है कि स्वामीनाथ अखाड़े में लड़कियां भी दंगल में लड़कों को चुनौती देंगी, जो दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। नागपंचमी के दिन काशी में सात नागों के विशेष दर्शन की परंपरा भी निभाई जाएगी, जिससे शहर में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक माहौल बना हुआ है।

स्वामीनाथ अखाड़ा: 450 वर्षों की विरासत

तुलसीघाट पर स्थित स्वामीनाथ अखाड़ा, जो कि 450 साल से भी अधिक पुराना है, नागपंचमी के खास आयोजनों का केंद्र बना हुआ है। इसकी स्थापना गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। खास बात यह है कि इस अखाड़े में महिलाएं भी कुश्ती के दांव-पेंच सीखती हैं। बनारस की बेटी कशिश यादव ने यहीं प्रशिक्षण लेकर नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीता। इसके अलावा आस्था,पलक जैसी युवा पहलवान भी राज्यस्तरीय प्रतियोगिताओं में झंडे गाड़ चुकी हैं।

नागपंचमी की पारंपरिक प्रतियोगिताएं

इस दिन जोड़ी, गदा, नाल और कुश्ती की प्रतियोगिताएं होती हैं। इसमें भाग लेने वाले पहलवान हफ्तों पहले से कड़ी मेहनत और रियाज करते हैं। कुछ अखाड़ों में यह प्रतियोगिता एक दिन चलती है, तो कुछ में दो से तीन दिन तक कार्यक्रम चलते हैं। विजेताओं को सम्मान और इनाम भी दिए जाते हैं।

अखाड़ों की साज-सज्जा और पूजा

महामृत्युंजय मंदिर, बड़ा गणेश, प्रहलादघाट, औघड़नाथ तकिया सहित कई अखाड़ों में मिट्टी समतल करने से लेकर रंग-रोगन तक की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। नागपंचमी पर पूजा और बल-प्रदर्शन की पुरानी परंपरा निभाई जाएगी। समय के साथ कई अखाड़े बंद हो चुके हैं या साल में केवल विशेष अवसरों पर खुलते हैं। कुछ गिने-चुने अखाड़ों में ही नियमित रियाज होता है। फिर भी नागपंचमी जैसे पर्व इन अखाड़ों में नई ऊर्जा भरते हैं।

काशी के प्रमुख अखाड़े

स्वामीनाथ अखाड़ा (तुलसीघाट),औघड़नाथ तकिया अखाड़ा (पिपलानी कटरा),गैबी अखाड़ा, पंडाजी का अखाड़ा (बांसफाटक), रामसेवक अखाड़ा (अस्सी), कर्णघंटा अखाड़ा (बुलानाला), संतराम अखाड़ा (मणिकर्णिकाघाट),गया सेठ अखाड़ा,बबुआपांडेय अखाड़ा, सोनिया अखाड़ा,सकूर जिलानी अखाड़ा, बड़ा गणेश अखाड़ा (लोहटिया),रामसिंह अखाड़ा (बेनिया), नरोत्तमपुर अखाड़ा मौजूद हैं। काशी में होते हैं 7 नागों के दर्शन

  • शेषनाग मणिकर्णिका तीर्थ के समीप सभी कामनाओं का फल देने वाले हैं। दर्शन पूजन से रोगों से भय दूर होता है।
  • वासुकी सिंधिया घाट के ऊपर कामनाओं का फल देने वाले हैं।
  • वासुकी काशीपुरा चौराहे पर रानी बेतिया के बाड़े में कामनाओं का फल देने वाले हैं।
  • कांबल मणिकर्णिकेश्वर के बगल में विषों को हरने वाला और विद्या प्रदान करते हैं।
  • आश्वत्तर मणिकर्णिकेश्वर के बगल में विषों को हरने वाला और विद्या प्रदान करते हैं।
  • तक्षक बड़ी पियरी पर औघड़ नाथ तकिया के समीप सर्प भय दूर करते हैं।
  • कर्कोटक जैतपुरा नागकूप नागलोक में पूजित होने का वर देते हैं।
  • शंखचूड़ दारानगर रोड पर रत्नेश्वर के पीछे कालसर्प का भय नहीं रहता है।

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