नोएडा प्राधिकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया: किसानों को मुआवजा देने के मामले में SIT की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद नई जांच कराने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण किसी भी परियोजना का निर्माण शुरू करने से पहले पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन कराए और उसकी रिपोर्ट न्यायालय की ग्रीन बेंच से पास करवाई जाए। इससे पहले गठित एसआईटी की जगह तीन आईपीएस अधिकारियों वाली नई एसआईटी गठित करने का निर्देश भी दिया गया है।
एसआईटी रिपोर्ट में पाया गया कि 20 मामलों में भूस्वामियों को अधिक मुआवजा दिया गया और दोषी अधिकारियों के नाम भी सामने आए। रिपोर्ट में अधिकारियों, उनके परिवार, भूस्वामियों और संबंधित संपत्तियों के बैंक खातों की जांच की आवश्यकता बताई गई। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है और परियोजनाओं पर नियमित सार्वजनिक रिपोर्टिंग नहीं होती, जबकि नीतियां डेवलपर्स के पक्ष में अधिक होती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए कि:
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डीजीपी उत्तर प्रदेश तीन आईपीएस अधिकारियों वाली नई एसआईटी गठित करेंगे।
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नई एसआईटी प्रारंभिक जांच करेगी और फोरेंसिक विशेषज्ञों तथा आर्थिक अपराध शाखा को शामिल करेगी।
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यदि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध पाया जाता है, तो मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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एसआईटी के परिणाम की रिपोर्ट एसआईटी प्रमुख द्वारा रिकॉर्ड पर रखी जाएगी, जो पुलिस आयुक्त के पद से नीचे नहीं होंगे।
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नोएडा के दैनिक कामकाज में पारदर्शिता और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण लाने के लिए रिपोर्ट की एक प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को दी जाएगी और इसे मंत्रिपरिषद में उचित निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
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मुख्य सचिव नोएडा में मुख्य सतर्कता अधिकारी तैनात करेंगे, जो आईपीएस या सीएजी से होंगे।
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चार सप्ताह के भीतर नागरिक सलाहकार बोर्ड का गठन सुनिश्चित किया जाएगा।
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कोई भी परियोजना सर्वोच्च न्यायालय की ग्रीन बेंच द्वारा पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) की स्वीकृति के बिना शुरू नहीं होगी।
इस आदेश के साथ सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि मुआवजा मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी, और प्राधिकरण की हर गतिविधि पर कड़ी निगरानी होगी।