Prediction 2025: सितारे और नेता मिलकर बदलेंगे दुनिया का भविष्य? क्या फिर से मंडराएंगे युद्ध के…

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Prediction 2025: 20 अगस्त से 20 सितंबर 2025 तक का समय साधारण नहीं है. इस कालखंड में सूर्य, शुक्र, बुध और मंगल अपनी चाल बदलेंगे और इनके साथ गुरु, शनि, राहु–केतु और चंद्रमा भी निर्णायक स्थिति में रहेंगे. बृहद्पाराशर होरा शास्त्र स्पष्ट करता है-

ग्रहाणां संचारतः नृणां नृपाणां च सुखदुःखं भवेत्.
अर्थात ग्रहों का संचार केवल व्यक्ति नहीं, बल्कि राष्ट्रों और शासकों की दशा बदलता है. यही कारण है कि अगस्त–सितंबर 2025 को Cosmic Reset कहा जा रहा है. यह महीना राजनीति, युद्ध, बाजार और जनजीवन-चारों पर असर डालेगा. आइए समझते हैं विस्तार से-

सिंह राशि में सूर्य की एंट्री (16 अगस्त – 17 सितंबर): 

सूर्य जब सिंह राशि (अपने स्वगृह) में प्रवेश करता है तो नेतृत्व और सत्ता को बल मिलता है. बृहद संहिता (अध्याय 3) में कहा गया है-
सिंहे रवौ स्थिते प्रजाः राजानं नमन्ति.
अर्थात सिंह में सूर्य होने पर जनता शासक की ओर झुकती है. इसका प्रमाण 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में मिला, जहां उन्होंने Mission Sudarshan Chakra और आर्थिक सुधारों की घोषणा की.

यूरोप भी अमेरिका पर निर्भरता घटाकर अपनी सैन्य नीति बना रहा है. सिंह में सूर्य का तर्क यही है कि नेता अधिक आत्मविश्वासी और निर्णायक होते हैं, पर विरोधी ताकतें भी संगठित होती हैं.

तुला में मंगल ग्रह का गोचर (13 सितंबर से): युद्ध की स्थिति या कूटनीति सफल?

मंगल जब तुला में प्रवेश करता है, तो संतुलन और साझेदारी की राशि में युद्ध का कारक प्रवेश करता है. बृहतजातक कहता है-
मङ्गले सीमायां क्लेशः.
अर्थात मंगल सीमाओं और समझौतों में क्लेश लाता है. 15 अगस्त को हुई ट्रम्प–पुतिन वार्ता का असफल रहना इसका संकेत है. भारत–पाकिस्तान सीमा और चीन के साथ LAC पर भी तनाव बढ़ सकता है.

मंगल का तुला गोचर बताता है कि इस अवधि में शांति की कोशिशें होंगी, लेकिन उनमें संघर्ष और शक्ति प्रदर्शन हावी रहेगा. कूटनीति विफल हो सकती है और युद्ध की रेखाएं फिर से उभर सकती हैं. सैन्य शक्तियां, सैन्य संयुक्त अभ्यास, हथियार, उपकरण की खरीदारी बढ़ेंगी. समुद्र में सेनाओं की सक्रियता बढ़ेगी.

कर्क राशि में शुक्र का आना (21 अगस्त 2025 से): उपभोग और आर्थिक नीतियां होगी प्रभावित!

21 अगस्त को शुक्र कर्क राशि में प्रवेश कर गजलक्ष्मी योग बनाएगा. फलदीपिका कहता है-
शुक्रे समृद्धिर्भवति, वाणिज्यं वर्धते.
अर्थात शुक्र व्यापार और वैभव को बढ़ाता है. इस दौरान भारत में EV और रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा. चीन को रियल एस्टेट संकट से अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन यह स्थायी नहीं होगी.

अमेरिका और यूरोप में लग्जरी और FMCG ब्रांड्स में उछाल संभव है. शुक्र का यह गोचर आर्थिक समृद्धि का आभास देगा, लेकिन राहु–केतु और मंगल आगे अस्थिरता पैदा करेंगे. यही वह समय है जब सरकारें आयात–निर्यात पर टैरिफ और टैक्स नीति सख्त कर सकती हैं.

बुध कर्क राशि में मार्गी और सिंह राशि में प्रवेश (11 अगस्त – 30 अगस्त): सूचना का विस्फोट!

बुध जब वक्री से मार्गी होकर सिंह में प्रवेश करता है, तो सूचना और संवाद का प्रवाह बढ़ता है. जातक पारिजात कहता है-
बुधे मार्गगते विद्या वाणिज्यं च बलं लभेत्.
भारत में इस दौरान स्टार्टअप्स, डिजिटल टेक्नोलॉजी और AI नीति को बढ़ावा मिलेगा. अमेरिका और यूरोप में साइबर सिक्योरिटी से जुड़े कड़े कानून और मीडिया में बड़े खुलासे संभव हैं. सोशल मीडिया पर आंदोलनों की लहर उठ सकती है. यह बुध दर्शाता है कि तकनीकी विकास और सूचना का प्रवाह नेताओं और जनता दोनों की सोच और निर्णय को बदल देगा.

गुरु का मिथुन राशि में गोचर: राजनीति और प्राकृतिक संकट

गुरु इस समय मिथुन राशि और राहु के पुनर्वसु नक्षत्र में हैं. बृहत संहिता (वराहमिहिर) में गुरु का शुभ नक्षत्रों में होना धर्म और राज्य के लिए कल्याणकारी माना गया है.

भविष्य पुराण और बृहत संहिता दोनों पुनर्वसु को ‘सर्वपोषिणी’ शक्ति मानते हैं, यानी समाज को पुनः संबल देने वाली स्थिति के तौर पर इसे बताया गया है.

गुरु के पुनर्वसु नक्षत्र में आने पर जियो-पॉलीटिक्स और अर्थव्यवस्था में रीसेट और पुनर्जीवन की लहर उठती है. यह समय युद्ध या संघर्ष के बाद समझौते और संतुलन लाने वाला होता है. तकनीक और संचार क्षेत्र में पुराने विचारों का नए रूप में प्रयोग होगा.

जैसे- स्पेस इंटरनेट, 6G और साइबर सुरक्षा. सूचना युद्ध और प्रोपेगेंडा भी बढ़ेंगे. बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद IT, कृषि, सोना और धार्मिक-आर्थिक क्षेत्र मजबूत होंगे. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मार्ग नए संतुलन में आएंगे. कुल मिलाकर यह कालखंड राजनीति, तकनीक और बाजार-तीनों में पुनः उत्थान और नवजीवन का संकेत देता है. 

शनि मीन में: धीमी क्रांति और जनअसंतोष

शनि मीन राशि में धीमी गति से चल रहा है. मेदिनी ज्योतिष कहता है-
शनेः संचारे योजनाः विलम्बन्ति, जनाः क्लिश्यन्ति.
इस समय अंतरराष्ट्रीय समझौते और समुद्री व्यापार धीमा होगा. तेल और गैस सेक्टर में दबाव रहेगा. भारत में विपक्ष सरकार पर हमले तेज करेगा. जनता को लग सकता है कि योजनाएँ धीमी हैं. शनि मीन गोचर दर्शाता है कि असंतोष धीरे-धीरे गहराता है और समय आने पर क्रांति का रूप लेता है.

  • राहु–केतु कुंभ–सिंह अक्ष पर होने से युद्ध और शांति की खींचतान देखने को मिलती है. जनता भी भ्रमित रहती है.
  • राहु मेष में और केतु तुला में हैं. राहु यहां आक्रामकता का संकेत दे रहा, केतु ग्रह त्याग और टूटन की स्थिति को बता रहा है.
  • राहु कुंभ में में नेताओं को आक्रामक और युद्धप्रिय बनाता है.
  • केतु सिंह राशि साझेदारियों को कमजोर करता है.

यही कारण है कि रूस–अमेरिका वार्ता का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला, भारत–पाक सीमा विवाद और चीन का दक्षिण चीन सागर पर दबाव. यह स्पष्ट करता है कि अगस्त–सितंबर में युद्ध और शांति की रस्साकशी एक साथ चलेगी. नेताओं के लिए यहा समय चुनौतियों से भरा रहेगा.

चंद्रमा का प्रभाव का जनता की मनोदशा पर दिखेगा प्रभाव

23 अगस्त अमावस्या: धार्मिक और भावनात्मक मुद्दों पर जनता की तीखी प्रतिक्रिया की संभवना बन रही है.

7 सितंबर (पूर्णिमा): राजनीतिक असंतोष और जनआंदोलन तेज हो सकते हैं.

बृहद संहिता कहती है-
चन्द्रेण लोकभावनाः.
यानी चंद्रमा सीधे जनता की सोच और भावनाओं पर असर डालता है. यह बताता है कि इस दौरान जनभावना नेताओं को निर्णय बदलने पर मजबूर कर सकती है.

आर्थिक असर: टैरिफ, शेयर बाजार और उपभोक्ता

यह अवधि केवल राजनीति और युद्ध तक सीमित नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी निर्णायक है.

  • शुक्र का कर्क राशि में गोचर से उपभोग में वृद्धि देखने मिलेगी जिससे सरकारें आयात पर नए टैरिफ लगा सकती हैं.
  • शनि देव का मीन राशि में गोचर संकेत दे रहा है कि तेल और गैस आयात महंगे हो सकते हैं.
  • गुरु पुनर्वसु नक्षत्र में होने से प्राकृतिक संकट के बाद सुधार तेज होते हैं, कृषि और कमोडिटी मार्केट प्रभावित होंगे. मेदिनी ज्योतिष के अनुसार, जब गुरु पुनर्वसु नक्षत्र में आता है, तो यह समय पुनर्जागरण (Revival) और पुनर्निर्माण (Reconstruction) का होता है.

उदाहरण से समझें भारत EV और सोलर प्रोडक्ट्स पर आयात शुल्क बढ़ाकर घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित कर सकता है. अमेरिका और यूरोप लग्जरी उत्पादों पर टैरिफ बढ़ा सकते हैं. चीन अपने उद्योग को बचाने के लिए निर्यात सब्सिडी दे सकता है. वहीं इस समय कार बनाने वाली कंपनियां सुरक्षा फीचरों पर अधिक फोकस करेंगी.

वैश्विक असर: कौन किस मोड़ पर?

  • भारत: सुधार और रक्षा नीति मज़बूत, मगर सीमा पर सतर्कता ज़रूरी.
  • रूस (पुतिन): सैन्य दबाव और ऊर्जा हथियार के रूप में उपयोग.
  • अमेरिका (ट्रम्प): आक्रामक कूटनीति, घरेलू राजनीति में विरोध.
  • यूरोप: अमेरिका पर निर्भरता घटाकर अपनी सुरक्षा नीति बनाना.
  • चीन: ताइवान और दक्षिण चीन सागर में दबाव, अर्थव्यवस्था में अस्थायी राहत.
  • पाकिस्तान: राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और सीमा तनाव, सैना की ताकत बढ़ेगी. सत्ता में बड़े बदलाव के संकेत.

शास्त्र- तर्क और तथ्य जो कर रहे हैं कुछ बड़ा होने का इशारा

अव्वल यह विश्लेषण केवल भविष्यवाणी नहीं बल्कि शास्त्र सम्मत उद्धरण, तार्किक व्याख्या और वर्तमान घटनाओं के उदाहरण का संतुलन है. क्यों कि-

  1. सूर्य = सत्ता
  2. मंगल = युद्ध/कूटनीति
  3. शुक्र = उपभोग/बाजार/टैरिफ
  4. बुध = सूचना/टेक्नोलॉजी
  5. गुरु = राजनीति और आपदा
  6. शनि = विलंब और असंतोष
  7. राहु–केतु = युद्ध बनाम शांति
  8. चंद्रमा = जनभावना का कारक है.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.