अंतर्राष्ट्रीय

“यह पाकिस्तान की असफलता है, हमारी नहीं” … तालिबान का भदका, मुल्ला उमर का बेटा सक्रियता से सक्रिय

पाकिस्तान और तालिबान के बीच के संबंध हमेशा से बहुत जटिल रहे हैं। हाल ही के घटनाक्रमों ने इस पारस्परिक संबंध को और भी उजागर किया है। तालिबान के नेतृत्व, विशेष रूप से मullah उमर के पुत्र मुल्ला याकूब द्वारा दिए गए बयानों ने इस जटिलता को नया मोड़ दिया है। उन्होंने पाकिस्तान की सुरक्षा संस्थानों पर सवाल उठाए, इस विचार को मजबूती दी कि पाकिस्तान की विफलता तालिबान की उपलब्धियों के विपरीत है।

#### तालिबान की विफलता का आरोप

मुल्ला याकूब ने स्पष्ट रूप से कहा कि जो घटनाएँ पाकिस्तान के अंदर घटित हो रही हैं, वे उस देश की अपनी विफलताओं का परिणाम हैं, न कि तालिबान की किसी रणनीति का। यह दृष्टिकोण तालिबान के लिए अपने समर्थन को जुटाने का एक तरीका भी हो सकता है, विशेषकर जब उसे अपनी आतंकवादी गतिविधियों के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का सामना करना पड़ता है।

#### सुरक्षा साख का प्रश्न

मुल्ला याकूब का बयान न केवल पाकिस्तान की सुरक्षा क्षमताओं पर सवाल उठाता है, बल्कि यह तालिबान की उनकी स्वयं की सुरक्षा और स्थिरता पर भी प्रकाश डालता है। जैसे-जैसे अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमाएँ और अधिक तनावपूर्ण होती जा रही हैं, तालिबान अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। उनकी यह स्थिति उन दोस्तों के लिए चिंताजनक है, जो पाकिस्तान को समर्थन देने को तैयार हैं।

#### दोस्ताना टकराव

तालिबान के समर्थन में खड़े कुछ लोग भी पाकिस्तान से दूरी बनाने लगे हैं। यह चर्चा में आया कि जब भी आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ी हैं, तब तालिबान के समर्थक भी खुलकर बोलने लगे हैं। कुछ ने तो सीधे तरीके से यह भी कहा कि यदि हमले हो रहे हैं, तो तालिबान को क्या करना चाहिए। यह स्पष्टता जाहिर करती है कि तालिबान का अंदरूनी समर्थन भी बिखरने लगा है।

#### हवाई हमले की घटनाएँ

हाल ही में अफगानिस्तान ने पाकिस्तान पर हवाई हमले का आरोप लगाया है, जिसमें तीन लोग मारे गए हैं। इस घटना ने सैन्य संघर्ष की स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तथाकथित ‘धृवीय द्वारे’ की स्थिति, जिसमें दोनों देशों की सीमाएँ अक्सर रक्तरंजित होती हैं, एक नई चिंता का विषय बन गई है।

## सच्चाई का सामना

सम्भवतः तालिबान की यह सोच कि पाकिस्तान की समस्याएँ उसकी ही विफलता का परिणाम हैं, अंततः उस स्थिति को परिभाषित कर रही है जिसमें तालिबान अब खुद को पा रहा है। अमित राजनेताओं और विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि स्थिति की उच्चता और नीचे की धारा में चलने वाली उथल-पुथल इस बात की ओर संकेत कर रही है कि सुरक्षा एजेंसियों की राजनीतिक परिभाषाएँ कितनी महत्वपूर्ण होती हैं।

### बाहरी दबाव और आंतरिक संघर्ष

तालिबान के आंतरिक संघर्ष भी एक जटिल कारक हैं। जब एक तरफ तालिबान खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, तो दूसरी ओर उसे अफगानिस्तान के भीतर विद्रोहियों और विरोधियों के साथ भी निपटना है। यह मुद्दा पाकिस्तान के लिए भी एक चिंता का विषय बनता जा रहा है। अगर तालिबान मजबूत हुआ तो क्या वह पाकिस्तान के लिए खतरा बन सकता है?

### आगे की दिशा

पाकिस्तान और तालिबान के बीच का यह विवाद केवल दो देशों का ही मामला नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के नीति निर्धारक अब इस बात पर गौर कर रहे होंगे कि भविष्य में कैसे तालिबान की बढ़ती ताकत का सामना किया जाए।

उदाहरण के लिए, यदि तालिबान और अधिक मजबूत होता है, तो क्या यह सीमाओं को पार करके पाकिस्तान में आतंकी हमलों को बढ़ावा देगा? या फिर क्या पाकिस्तान अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करके इस खतरे का सामना कर सकता है? सवाल यह भी है कि क्या तालिबान को मिलने वाला समर्थन पाकिस्तान के खिलाफ इस्तेमाल होगा?

### अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस स्थिति पर ध्यान दे रहा है। तालिबान द्वारा की जाने वाली गतिविधियाँ केवल क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि व्यापक वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर भी प्रभाव डाल सकती हैं। इसलिए, सभी देशों को यह देखने की आवश्यकता है कि Afghanistan और Pakistan के बीच का यह तनाव न केवल इन देशों, बल्कि संपूर्ण क्षेत्र की स्थिरता के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

### निष्कर्ष

कुल मिलाकर, तालिबान और पाकिस्तान के बीच यह गतिशीलता न केवल एक जटिल और अस्पष्ट रिश्ते को दर्शाती है, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। तालिबान की शक्तियों और पाकिस्तान की सुरक्षा नीतियों का यह संघर्ष भविष्य में कई विपरीत घटनाओं का जन्म दे सकता है।

इसलिए यह आवश्यक है कि दोनों पक्ष इस संकट को समझें और इसके समाधान के लिए बातचीत का मार्ग अपनाएं, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे और हिंसा को काबू में किया जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button