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कोई बंगला या कार नहीं… सभी सुविधाएं उपलब्ध, 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को महल छोड़ना पड़ा; श्रीलंका का नया कानून क्या है – Aajtak

श्रीलंका का नया कानून और पूर्व राष्ट्रपति

हाल ही में श्रीलंका में एक नया कानून पेश किया गया है, जिसके तहत पूर्व राष्ट्रपति और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को दी जाने वाली सुविधाओं में कटौती की गई है। यह कानून विशेष रूप से उन पूर्व राष्ट्रपतियों के लिए लागू होगा, जो अब सरकारी पद पर नहीं हैं। इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य संसाधनों का सही उपयोग करना और सरकारी खर्चों में कमी लाना है, खासकर एक ऐसे समय में जब देश आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे का मामला

महिंदा राजपक्षे, जिन्होंने श्रीलंका का राष्ट्रपति पद संभाला था, को अब सरकारी आवास को छोड़ने का आदेश दिया गया है। उनके लिए यह एक अप्रत्याशित मोड़ है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति हमेशा से विशेष सुविधाओं के हकदार होते हैं। राजपक्षे के अनुसार, यह फैसला उनके अनुभव और देश की दशा को देखते हुए असामान्य है।

श्रीलंका में यह कानून लागू होने के बाद पूर्व राष्ट्रपति को न только सरकारी बंगला छोड़ना पड़ेगा, बल्कि उन्हें दी गई सरकारी कार और अन्य लाभ भी वापस करने होंगे। यह निश्चित रूप से उन नेताओं के लिए एक नया अनुभव होगा, जो लंबे समय से सरकारी सुरक्षा और सुविधाओं का आनंद लेते आए हैं।

चंद्रिका भंडर्नायके के संकेत

इस बीच, पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका भंडर्नायके ने भी इस नए कानून के तहत अपने सरकारी आवास को खाली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने दो महीने के भीतर अपने सरकारी बंगले को खाली करने की योजना बनाई है। यह कदम इस बात की ओर इशारा करता है कि देश में प्रशासनिक परिवर्तन हो रहे हैं और सरकारी शौचालय को पेंट करने के प्रयास तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

समृद्धि की ओर एक कदम

श्रीलंका में इस प्रकार के कानून लाने का उद्देश्य सिर्फ सुविधाओं में कटौती करना नहीं है, बल्कि यह व्यवस्था को पारदर्शी और जिम्मेदार बनाना है। आर्थिक स्थिति के संकट में, यह जरूरी है कि सरकारी खर्चों को सीमित किया जाए ताकि देश में विकास की संभावनाएं बढ़ाई जा सकें। यह कानून जनहित में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

सभी पूर्व राष्ट्रपति और वरिष्ठ नेताओं को कहां और किस प्रकार की सुविधाएं दी जाएंगी, इस पर विवाद हो सकता है। लोग इसे एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में देख सकते हैं, जो सरकारी संसाधनों के उचित बंटवारे की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।

स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

इस कानून के प्रति प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है। कुछ लोग इसे एक आवश्यक कदम मानते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि इससे राजनीति में असामंजस्य पैदा हो सकता है। स्थानीय समाचार पत्रों में इस पर विस्तृत चर्चा की गई है, जिसमें विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक अपने-अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इस कानून की सराहना की जा रही है। कई राजनीतिक विशेषज्ञ इसे एक मजबूत संदेश के रूप में देख रहे हैं कि श्रीलंका अब अपने पूर्व नेताओं को भी जवाबदेह ठहराने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष

श्रीलंका का नया कानून पूर्व राष्ट्रपतियों और सरकारी अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह देश की राजनीति और प्रशासन के लिए एक नए युग की शुरुआत कर सकता है। हालांकि, यह अभी देखना बाकी है कि ये परिवर्तन देश की आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थिरता पर किस प्रकार का प्रभाव डालेंगे।

इस बीच, श्रीलंका के नागरिकों की उम्मीदें इस नए कानून से बढ़ी हैं कि यह उन्हें एक जिम्मेदार और पारदर्शी सरकार मुहैया कराएगा, जो संसाधनों का समुचित प्रबंधन कर सकेगी। यह कानून सिर्फ एक मरहम नहीं है, बल्कि यह एक गहरी सोच का परिणाम है, जो देश को एक नए मार्ग पर ले जाने का प्रयास कर रहा है।

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