हवा में बदलाव की गंध — जब लखनऊ की सर्द सुबह ने नया आदेश सुना

लखनऊ की सर्द हवाएँ उस सुबह कुछ अलग थीं। सचिवालय की ऊँची दीवारों पर सूरज की पहली किरणें ऐसे गिर रही थीं जैसे किसी नई शुरुआत की गवाही दे रही हों। अंदर, एक दस्तावेज़ पर कलम चली — और हवा में बदलाव की स्याही घुल गई।
प्रदेश सरकार ने अध्यक्ष पद के लिए योग्यता में बदलाव कर दिया है। इसके लिए सरकार ने उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग (संशोधन) अध्यादेश, 2025 को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन से स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस संशोधन के बाद अब जल्द ही आयोग को नया अध्यक्ष मिल जाएगा।
यह वही दिन था जब सरकार ने तय किया कि अब शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष सिर्फ IAS नहीं होगा।
अब IPS की तेज़ निगाहें, IFS का धैर्य, या किसी अन्य सेवा की दृष्टि भी इस कुर्सी तक पहुँच सकेगी।
राजधानी के गलियारों में हल्की फुसफुसाहट थी। एक पुराने अधिकारी ने कहा, “समय बदल रहा है… पहले जो कुर्सियाँ बंद कमरों में तय होती थीं, अब उनके दरवाज़े खुल रहे हैं।”
बाहर पेड़ों की पत्तियाँ झूम रहीं थीं, मानो वे भी इस नई लहर के साथ ताल मिला रही हों।
शहर की हवा में एक उम्मीद थी — कि शिक्षा सिर्फ किताबों की बात नहीं रहेगी, बल्कि शासन और समाज के अनुभवों से जुड़कर आगे बढ़ेगी।
रात को जब सचिवालय की लाइटें बुझीं, तब भी उस दस्तावेज़ की स्याही ताज़ा थी — जैसे भविष्य की पगडंडी पर लिखा कोई नया अध्याय।




