
देश की मिट्टी तभी सच्ची खुशबू देती है जब शासन पारदर्शिता और न्याय की राह पर चलता है। छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले ने यही सवाल उठाया था—क्या सत्ता और नैतिकता साथ चल सकती हैं?
प्रवर्तन निदेशालय की हालिया कार्रवाई, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे की ₹61 करोड़ से अधिक की संपत्ति कुर्क की गई, यह संदेश देती है कि कानून से ऊपर कोई नहीं। चाहे पद कितना भी ऊँचा हो, जवाबदेही से बचना असंभव है।
यह घटना देश के युवाओं को याद दिलाती है कि बेईमानी से अर्जित संपत्ति कभी स्थायी नहीं होती। सच्ची पूँजी ईमानदारी है, जो किसी भी अदालत में कुर्क नहीं की जा सकती। अगर हम सभी नागरिक अपने-अपने स्तर पर सत्य और पारदर्शिता के लिए दृढ़ रहें, तो भविष्य का भारत भ्रष्टाचार से मुक्त हो सकता है।




