नेपाल का नोट चीन में छपना: दक्षिण एशिया में भारत-चीन प्रभाव संघर्ष का नया अध्याय।

हिमालय की गोद में बसा नेपाल, परंपराओं और रिश्तों की धरोहर संजोए, एक ऐसा राष्ट्र रहा है, जिसने दशकों तक भारत को अपने सबसे भरोसेमंद पड़ोसी के रूप में देखा। सूरज की पहली किरण जब पहाड़ों पर गिरती है, तो मानो दोनों देशों के बीच रिश्तों की वह पुरानी गर्माहट फिर से झिलमिलाने लगती है। लेकिन राजनीति का आकाश बदलता है, हवाओं की दिशा बदलती है, और कभी-कभी वही रिश्ते नए मुकाम तलाशने लगते हैं।
नेपाल की मुद्रा — उसकी आर्थिक पहचान का प्रतीक — लंबे समय तक भारत की मशीनों से जन्म लेती रही। नई नोट शीटों की स्याही में विश्वास बसता था, और सुरक्षा धागों में सदियों की निकटता का एहसास। मगर इतिहास की धारा 2015 के बाद मोड़ लेने लगी। जिस नक्शे को लेकर गर्व था, उसी नक्शे ने भारत और नेपाल के बीच संवाद की खिड़की पर धूल जमा दी।
भारत ने कुछ नोट डिज़ाइनों पर अपनी असहमतियाँ दर्ज कीं। नेपाल ने इसे आत्मसम्मान के सवाल की तरह महसूस किया। जैसे किसी पुराने मित्र ने अचानक अपनी दूरी बढ़ा ली हो। ऐसे में चीन, जो हमेशा दक्षिण एशिया में अपने पाँव फैलाने की तलाश में रहता है, नेपाल की ओर मुस्कुराता हुआ बढ़ा — “मैं छाप दूँगा तुम्हारा पैसा।”
चीन की फैक्ट्रियों में चमकती तेज़ रोशनियाँ, बहुरंगी सुरक्षा धागे, होलोग्रामों की चमक और लाखों नोटों की महक — सब नेपाल के लिए नया, आकर्षक और तकनीकी रूप से श्रेष्ठ लगा। नेपाल ने धीरे-धीरे भारत से कदम पीछे खींचे और चीन की ओर बढ़ा दिया अपना भरोसे का हाथ।
हाल ही में नेपाल राष्ट्र बैंक ने 1000 रुपये मूल्य के 430 मिलियन नोट छापने का कॉन्ट्रैक्ट चीन को सौंप दिया। चाइना बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन — एक ऐसा नाम जो वैश्विक करेंसी छपाई की दुनिया में तेजी से चमक रहा है — अब नेपाल की आर्थिक नसों में प्रवाहित होने वाली मुद्रा को गढ़ रहा है।
भारत नेपाल के दिल में है, इसमें संदेह नहीं; लेकिन चीन ने अपने संसाधनों, तकनीक और राजनीतिक रणनीति के सहारे नेपाल के दिमाग में अपनी जगह बड़ी तेजी से बना ली है। नेपाल एक चौराहे पर खड़ा है — परंपरा की राह भारत की ओर जाती है, जबकि आधुनिक तकनीक और भू-राजनीतिक आकर्षण का मार्ग चीन की ओर।
पर्वतों की चोटियाँ इस बदलते समय की साक्षी बन रही हैं। वे देख रही हैं कि कैसे एक छोटी-सी मुद्रा, कागज़ का एक टुकड़ा, देशों के बीच विश्वास और प्रभाव की कहानियाँ लिख देता है। नेपाल के नोटों पर छपी हर रेखा, हर स्याही, उसके भविष्य के भू-राजनीतिक स्वरूप को गढ़ रही है। कौन किसका करीबी बनेगा, कौन किसका साझेदार — यह कहानी अभी लिखी जा रही है।




