
राजस्थान पुलिस ने हाल ही में एक ऐसी गिरफ्तारी की है जिसने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। मौलवी उमर नामक शख्स को गिरफ्तार किया गया है, जो तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे खतरनाक आतंकी संगठन के लिए स्लीपर सेल बनाने की कोशिश कर रहा था। स्लीपर सेल को आतंकवाद की दुनिया में सबसे घातक रणनीति माना जाता है, क्योंकि ये सक्रिय होने तक आम जीवन में घुल-मिलकर रहते हैं और किसी बड़े हमले की तैयारी करते हैं।
उमर ने धार्मिक पहचान का दुरुपयोग करते हुए युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ने की योजना बनाई थी। कई युवा उसकी सोच से प्रभावित भी हो रहे थे, क्योंकि वह भावनात्मक और धार्मिक तर्कों के माध्यम से उन्हें अपने जाल में फंसा रहा था। उसकी पूरी प्रक्रिया बेहद गोपनीय थी और वह अपने योजनाओं को सार्वजनिक होने से बचाने की पूरी कोशिश कर रहा था। लेकिन राजस्थान पुलिस की सतर्कता और खुफिया जानकारी के चलते उसकी साजिश का पर्दाफाश हो गया।
पूछताछ में यह खुलासा हुआ कि वह 8 नवंबर को दुबई जाने वाला था। इस यात्रा का उद्देश्य धार्मिक नहीं था, बल्कि आतंकवादी प्रशिक्षण प्राप्त कर अफगानिस्तान पहुंचना था। वहां TTP से जुड़े प्रशिक्षक उसे स्लीपर सेल तैयार करने की पूरी रणनीति सिखाने वाले थे। यह संकेत मिलता है कि उमर पहले से ही संगठन के संपर्क में था और अपने मिशन को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहा था। उसके पास से मिली अफगान मोबाइल सिम इस बात को सिद्ध करती है कि वह किसी बड़े संपर्क नेटवर्क से जुड़ा हुआ था।
राजस्थान में स्लीपर सेल बनाना TTP के लिए रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता था। क्योंकि यह क्षेत्र शांतिपूर्ण माना जाता है, जहां सुरक्षा बलों का ध्यान उतना तीव्र नहीं रहता। ऐसे में यहां तैयार स्लीपर सेल भविष्य में किसी बड़े हमले या आतंकी गतिविधि को अंजाम दे सकते थे।
पुलिस अब उमर के साथ जुड़े अन्य व्यक्तियों की तलाश कर रही है। कई डिजिटल डिवाइस, संपर्क सूत्र और दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं, जिन्हें खंगाला जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह मामला सिर्फ एक मौलवी की गिरफ्तारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस बड़े नेटवर्क का हिस्सा है जो भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है।
यह घटना इस बात का भी संकेत है कि देश में कट्टरपंथ फैलाने की गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं और युवाओं को टारगेट करके उन्हें भटकाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में समाज और प्रशासन दोनों को जागरूक रहना होगा।




