यूपी में भाजपा अध्यक्ष पद के लिए साध्वी निरंजन ज्योति का नाम तेज़ी से चर्चाओं में है।

एक साध्वी से राष्ट्रीय नेतृत्व तक का सफर
उत्तर प्रदेश की राजनीति में साध्वी निरंजन ज्योति का नाम एक प्रेरणादायक यात्रा की कहानी की तरह उभरता है। एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकली यह महिला नेता आज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद की चर्चाओं के केंद्र में है। दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से हुई मुलाकात ने यह चर्चा और तेज कर दी है।
हमीरपुर की मिट्टी से उठी संन्यासी ऊर्जा
1 मार्च 1967 को हमीरपुर जिले के पत्योरा के मजरा मलिहाताला में जन्मी निरंजन ज्योति बचपन से ही आध्यात्मिक वातावरण में पली-बढ़ीं। गांव में आने वाले खड़ेश्वरी महाराज के प्रवचनों से प्रभावित होकर उनके भीतर 14 वर्ष की उम्र में वैराग्य जागा। उन्होंने बाल्यावस्था में ही संन्यास ले लिया—जो उनके जीवन की दिशा को हमेशा के लिए बदल गया।
आध्यात्मिक परंपरा का विस्तार
कौशांबी से कक्षा 12 तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें कानपुर देहात के मूसानगर स्थित आश्रम में स्वामी अच्युतानंद के सान्निध्य में शिक्षा मिली। आगे चलकर स्वामी परमानंद महाराज से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। उनकी यह आध्यात्मिक यात्रा केवल कथावाचन तक सीमित नहीं रही, बल्कि हजारों लोगों को जीवन दर्शन सिखाने की प्रेरक शक्ति बन गई।
राम मंदिर आंदोलन का दृढ़ चेहरा
1984 से शुरू हुए राम मंदिर आंदोलन में उन्होंने साध्वी ऋतंभरा के साथ गांव-गांव जाकर जनसमर्थन जुटाया। इस दौरान उनका नेतृत्व, तेजस्विता और भाषण कौशल समाज में गहरी छाप छोड़ गया। उमा भारती के साथ उनकी निकटता और संघर्षमय दौर ने भी उनके राजनीतिक सफर को दिशा दी।
राजनीति में कदम और जीत का सिलसिला
2002 में भाजपा ने उन्हें हमीरपुर सदर से टिकट दिया—और वह पहली बार विधायक बनीं। 2007 में हार के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और 2012 में फिर जीतकर वापस लौटीं।
2014 में फतेहपुर लोकसभा से उनका पहला संसदीय चुनाव ऐतिहासिक जीत में बदल गया। केंद्र सरकार में उन्हें खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण विकास और उपभोक्ता मामलों जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों में राज्यमंत्री बनाया गया।
संगठन में मजबूत पकड़
भाजपा संगठन में उनका अनुभव बहुत व्यापक है—प्रदेश मंत्री, प्रदेश उपाध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय कार्यसमिति तक। 2019 के अर्धकुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि मिली, जिसके बाद उन्होंने पूरे देश में सनातन परंपरा के प्रचार-प्रसार को नए स्तर तक पहुंचाया।
महिला नेतृत्व का सशक्त प्रतीक
एक ओबीसी समुदाय की महिला नेता होने के कारण वह भाजपा के सामाजिक संतुलन और नेतृत्व विकास की बड़ी मिसाल बन गईं। साध्वी उमा भारती के बाद केंद्रीय मंत्री बनीं दूसरी साध्वी होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है।
क्यों बढ़ रही है उनकी दावेदारी?
व्यापक संगठनात्मक अनुभव, आध्यात्मिक प्रभाव, विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत पकड़ और ओबीसी समाज में सम्मानित भूमिका—ये सभी तत्व उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में प्रमुख चेहरा बनाते हैं। नड्डा से मुलाकात के बाद उनकी दावेदारी और भी मजबूत मानी जा रही है।




