दिल्ली यूनिवर्सिटी में कम डिमांड वाले कोर्स बंद होने की संभावना, किन सब्जेक्ट्स की सबसे अधिक डिमांड?

दिल्ली यूनिवर्सिटी अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम में बदलाव करने की तैयारी में है। इंटरनल एडमिशन रिव्यू में पाया गया कि कई कोर्स में सीटें खाली हैं क्योंकि स् …और
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) अपने कई अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है। यूनिवर्सिटी के इंटरनल एडमिशन रिव्यू में पाया गया कि कई कोर्स में सीटें खाली हैं और स्टूडेंट्स की दिलचस्पी कम है। इसके आधार पर, यूनिवर्सिटी ऐसे प्रोग्राम को बंद करने या फिर उन्हें नया स्वरूप देने पर विचार कर रही है।
यह रिव्यू 2025-26 के लिए CUET-बेस्ड एडमिशन प्रोसेस की तुलना 2019 के पिछले ट्रेंड से करके तैयार किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह समस्या नई नहीं है। कुछ कोर्स के लिए एप्लीकेंट की संख्या कई सालों से कम बनी हुई है। यूनिवर्सिटी ने कोर्स की डिमांड का पता लगाने के लिए प्रेफरेंस-टू-सीट रेश्यो अपनाया है। जिन कोर्स का रेश्यो 50 से कम है, उनके बंद होने की संभावना ज़्यादा है। 50 से 100 के बीच रेश्यो वाले कोर्स में सीटें बढ़ाई या घटाई जा सकती हैं। जिन कोर्स में एप्लीकेंट की संख्या 200 से ज़्यादा है, उन्हें हाई-डिमांड कोर्स माना जाता है, और सीट बढ़ाने की सलाह दी गई है।
OMSP और कई BA प्रोग्राम कॉम्बिनेशन हो सकते हैं बंद
रिपोर्ट में ऑफिस मैनेजमेंट एंड सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस (OMSP) और कई BA प्रोग्राम कॉम्बिनेशन की डिमांड बहुत कम बताई गई है। यूनिवर्सिटी ने सभी कॉलेजों से कहा है कि वे हर साल अपने उन कोर्स का डिटेल्ड रिव्यू करें जहां सीटें खाली रहती हैं। कॉलेजों को एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट देनी होगी। DU के एक प्रिंसिपल ने बताया कि कॉलेजों से यह भी कहा गया है कि वे उन कोर्स को धीरे-धीरे बंद करने का प्रोसेस शुरू करें जिन्हें स्टूडेंट्स लगातार एक्सेप्ट नहीं कर रहे हैं।
चार कॉलेजों की हालत सबसे खराब
रिपोर्ट के मुताबिक, अदिति महाविद्यालय, सिस्टर निवेदिता कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज और जाकिर हुसैन इवनिंग कॉलेज में सीट भरने की हालत सबसे कमजोर है। इन कॉलेजों में BA प्रोग्राम कॉम्बिनेशन की संख्या ज्यादा है, जबकि ऑनर्स कोर्स कम हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह इम्बैलेंस स्टूडेंट्स की चॉइस पर भी असर डाल रहा है। प्रिंसिपल का यह भी मानना है कि कई BA कॉम्बिनेशन अब स्टूडेंट्स के लिए रेलिवेंट नहीं रहे। कुछ कॉलेजों ने ऐसे सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन शुरू किए जो स्टूडेंट्स को पसंद नहीं आए और जिनमें ऑनर्स ऑप्शन की कमी थी। कॉलेजों को अब सिर्फ जरूरी और यूजफुल कॉम्बिनेशन ही ऑफर करने की एडवाइस दी गई है।
कॉमर्स की डिमांड सबसे ज्यादा, लैंग्वेज सब्जेक्ट पीछे
रिव्यू में कॉमर्स और कई BA ऑनर्स सब्जेक्ट की डिमांड ज़्यादा होने का पता चला। कई कोर्स के लिए एप्लीकेशन मंज़ूर सीटों से ज़्यादा आ गए। इसके उलट, लैंग्वेज सब्जेक्ट के लिए स्थिति कमज़ोर थी, जहाँ सिर्फ़ 81 परसेंट सीटें ही भरीं। अधिकारियों का कहना है कि सीटों का सही इस्तेमाल पक्का करने और एडमिशन प्रोसेस को आसान बनाने के लिए अगले एकेडमिक साल में कोर्स को रीस्ट्रक्चर करने का प्रोसेस शुरू हो सकता है।




