सऊदी अरब का चौक कभी खून से रहता था लथपथ, आज फव्वारों और कैफे से है गुलजार; कैसे बदला नजारा?

सऊदी अरब की राजधानी रियाद का अल-अदल चौक, जो कभी सार्वजनिक फांसी के लिए कुख्यात था, अब एक आधुनिक केंद्र बन गया है। सऊदी अरब ने अपनी क्रूर छवि को बदलने के लिए फांसी को बंद दरवाजों के पीछे कर दिया है। अब इस चौक में फव्वारे हैं और कैफे लोगों से भरे रहते हैं। हालांकि, इस साल सऊदी अरब ने 340 लोगों को मौत की सजा दी है, लेकिन अब यह जेलों की चारदीवारी के पीछे होता है।
सऊदी अरब की राजधानी रियाद के मशहूर अल-अदल चौक पर, जहां कभी शुक्रवार की नमाज के बाद अपराधियों की गर्दनें काटी जाती थीं और खून की धाराएं बहती थीं, अब पाम के पेड़ों की छांव में बच्चे खेलते हैं।
सऊदी अरब ने पिछले दशक में अपनी क्रूर छवि बदलने की कोशिश में इन फांसी को बंद दरवाजों के पीछे कर दिया है।
अब इस चौक को विदेशी लोग “चॉप चॉप स्क्वायर” कहते थे, लेकिन अब यहां फव्वारे बहते हैं और कैफे लोगों से भरे रहते हैं। इस साल सऊदी अरब ने अपना पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है, 340 लोगों को मौत की सजा दी गई है, लेकिन अब यह खुलेआम नहीं बल्कि जेलों की चारदीवारी के पीछे होता है।
नमाज के बाद हर शुक्रवार को दी जाती थी फांसी
पहले हर हफ्ते शुक्रवार की नमाज के बाद अल-अदल चौक पर फांसी दी जाती थी, जो धार्मिक पुलिस के हेडक्वार्टर के बगल में है। दुकानदार और स्थानीय लोग आज भी उन दृश्यों को याद करते हैं, जब बड़ी भीड़ इकट्ठी होती थी। एक दुकानदार रफीक कहते हैं कि पुलिस बैरिकेड लगाती थी और लोग सिर कटते देखने के लिए जमा होते थे।
वह कहते हैं, “यह डरावना था, लेकिन धीरे-धीरे आदत पड़ गई। सिर कटने के वक्त लोग आंखें बंद कर ‘अल्लाहु अकबर’ चिल्लाते थे।”
निशान अभी भी बाकी
चौक में अभी भी बड़े-बड़े नाले हैं, जिनके ऊपर लोहे की ग्रिल लगी है, ताकि फांसी के बाद सफाई आसान हो। ऐसे ही दृश्य पूरे देश में हर बड़े मस्जिद के बाहर वाले चौक में देखने को मिलते थे। 2013 के अंत में बिना कोईं वजह बताए सार्वजनिक फांसी बंद कर दी गईं।
यूरोपियन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स की रिसर्चर दुआ धैनी कहती हैं कि उसके बाद फांसी जेलों के अंदर होने लगीं।
2013 में सरकार ने फायरिंग स्क्वॉड को मंजूरी दी, लेकिन अब किस तरीके से मौत दी जाती है, यह साफ नहीं है। अधिकारियों ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया।
दुनिया के तौर-तरीकों में ढलने की कोशिश
फांसी को जेलों में शिफ्ट करना सऊदी अरब के बदलाव का एक अहम हिस्सा है, जो तेल पर निर्भरता कम करने के लिए विदेशी पर्यटकों और निवेशकों को लुभाना चाहता है।
धार्मिक पुलिस अब पहले जैसी सख्त नहीं, महिलाएं बिना नकाब या हिजाब के घूमती हैं और ऊंची कमाई वाले गैर-मुस्लिमों के लिए शराब पर पाबंदी भी ढीली कर दी गई है।




