महालया के दिन लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण दिखेगा अद्भुत नजारा

साल का दूसरा सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास रहेगा इस दिन दुर्लभ नजारा देखा जाएगा। जानें कब लगेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) और क्या यह भारत में दिखाई देगा या नहीं।
साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 08 अप्रैल को लगा था। अब इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण अक्टूबर के महीने में लगने जा रहा है। चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण खगोलीय घटना (Astronomical Phenomenon) मानी जाती है। इसलिए खासकर खगोल वैज्ञानिक इसे लेकर काफी उत्साहित रहते हैं।
लेकिन धर्म शास्त्रों और ज्योतिष में भी ग्रहण की घटना को महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू धर्म में ग्रहण की घटना अशुभ मानी जाती है, तो वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का प्रभाव देश-दुनिया से लेकर सभी राशियों पर पड़ता है। बात करें सूर्य ग्रहण की तो जब चंद्रमा सूर्य को पूरा या फिर आंशिक रूप से ढक लेता है तो ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर कम हो जाता है। कभी-कभी पूरी तरह से अंधेरा हो जाता है, इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
साल का दूसरा सूर्य ग्रहण बुधवार 02 अक्टूबर को लगेगा पंचांग के अनुसार इस दिन आश्विन अमावस्या की तिथि रहेगी साथ ही इसी दिन और पितृ पक्ष (पितृ पक्ष 2024) या श्राद्ध का अंतिम दिन रहेगा और महालया (महालया 2024) भी रहेगी। 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण रात 09:13 मिनट से लेकर मध्यरात्रि 03:17 तक रहेगा ग्रहण की कुल अवधि करीब 6 घंटे होगी।
क्या भारत में दिखेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि में लग रहा है ऐसे में भारत में इस सूर्य ग्रहण को नहीं देखा जा सकेगा ग्रहण दिखाई न देने के कारण यहां इसका सूतक काल सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और पूजा-पाठ आदि जैसी धार्मिक गतिविधियों पर भी कोई मनाही नहीं रहेगी।
बेहद दुर्लभ होगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण
2 अक्टूबर को लगने वाले सूर्य ग्रहण को लेकर खगोलीय वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं, क्योंकि ग्रहण के दौरान दुर्लभ नजारा देखा जाएगा बता दें कि यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा इसमें पूर्ण सूर्य ग्रहण की तरह की सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते हैं। लेकिन ऐसा तब होता है जब चंद्रमा अपनी कक्ष के सबसे दूर बिंदु पर होता है, जिससे कि वह छोटा दिखाई देता है।
ऐसी स्थिति में सूर्य को पूरी तरह से ढकने के बजाय चंद्रमा सिर्फ सूर्य के केंद्र को ढकता है और चारों और एक वलय जैसा दिखाई देता है। इस दौरान आसमान में सूर्य की रोशनी एक रिंग की तरह नजर आती है। इसे वैज्ञानिकों द्वारा रिंग ऑफ फायर (Ring of Fire) का नाम दिया गया है।