महाकुंभ नगर में शॉर्ट सर्किट से शिविर में लगी आग: फायर ब्रिगेड ने तत्काल पाया काबू, आग से नहीं हुई कोई जनहानि

0
Photo credit: Social Media

Photo credit: Social Media

महाकुंभ के लिए योगी सरकार द्वारा पहले से ही व्यापक स्तर पर जो तैयारी की गई थी उसकी मदद से शुक्रवार को बड़ा हादसा टालने में प्रशासन को बड़ी मदद मिली। खास तौर पर मेला क्षेत्र में अग्निशमन को लेकर जो तैयारियां की गईं थीं उन्होंने अहम रोल निभाया। ओल्ड जीटी रोड स्थित महाकुम्भ नगर में शुक्रवार को स्वामी हरिहरानंद और सुखदेवानंद के शिविर में अचानक आग लग गई। घटना की सूचना मिलते ही तत्काल महाकुम्भ के फायर ब्रिगेड की एक दर्जन गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग पर काबू पा लिया गया।

प्रशासन ने श्रद्धालुओं से की अपील

चीफ फायर ऑफिसर प्रमोद शर्मा ने बताया कि आग इस्कॉन क्षेत्र में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी, जिससे 20 से 22 टेंट जल गए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। दमकलकर्मियों ने त्वरित कार्रवाई कर आग को फैलने से रोक लिया। घटना की जानकारी मिलते ही उत्तरी झूसी के जोनल पुलिस ऑफिसर, एडिशनल एसपी सर्वेश कुमार मिश्रा, स्थानीय पुलिस और मेला मजिस्ट्रेट भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे सावधानी बरतें और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत अधिकारियों को सूचित करें।

योगी सरकार ने किया व्यापक इंतजाम

131.48 करोड़ के वाहन व उपकरणों को किया गया डिप्लॉय
महाकुम्भ में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए इस बार योगी सरकार ने व्यापक इंतजाम किए हैं। पूरे मेला क्षेत्र में 50 फायर स्टेशन और 20 फायर पोस्ट बनाए गए हैं। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए 4,300 फायर हाइड्रेंट तैनात किए गए हैं। महाकुम्भ को अग्नि दुर्घटना रहित क्षेत्र बनाने के लिए योगी सरकार ने विभाग को 66.75 करोड़ का बजट आवंटित किया है, जबकि विभागीय बजट 64.73 करोड़ है।

इस प्रकार, कुल 131.48 करोड़ रुपए की लागत से वाहन व उपकरणों को महाकुम्भ मेला में अग्नि जनित दुर्घटनाओं से सुरक्षा के लिए डिप्लॉय किया गया है। इतना ही नहीं अलग-अलग प्रकार के 351 से अधिक अग्निशमन वाहन और 2000 से अधिक ट्रेन्ड मैनपावर को डिप्लॉय किया गया है। प्रत्येक अखाड़ों के टेंट्स को फायर फाइटिंग इक्विप्मेंट्स से भी लैस किया गया है। यहीं नहीं, मेले की शुरुआत से पूर्व एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के साथ दर्जनों मॉक ड्रिल का भी आयोजन किया गया, जिसका हादसों के फौरन नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *