038815fc-a701-4348-926b-82b4a900dd01

लखनऊ। राजधानी के बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में मंगलवार को स्थायी आयोजन समिति की ओर से संत रविदास जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने किया तो वहीं मुख्य वक्ता के तौर पर  डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. वीरेंद्र सिंह यादव उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में कुलानुशासक बीबीएयू प्रो. एमपी सिंह, भाषा एवं साहित्य विद्यापीठ के संकायाध्यक्ष प्रो. रामपाल गंगवार एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. शिवशंकर यादव उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं संत रविदास और बाबासाहेब के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इसके बाद आयोजन समिति की ओर से अतिथि एवं शिक्षकों को पुष्पगुच्छ भेंट करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया गया।

डीन ऑफ अकेडमिक अफेयर्स प्रो. एस. विक्टर बाबू ने अपने विचार रखते हुए कहा कि भक्तिकाल के साहित्य एवं संतों में संत रविदास जी का अहम स्थान है। इन्होंने सदैव जाति और लिंग के सामाजिक विभाजन को दूर करने की शिक्षा दी एवं व्यक्तिगत आध्यात्मिक स्वतंत्रता की खोज में एकता को बढ़ावा दिया।

मुख्य वक्ता प्रो. वीरेंद्र सिंह यादव ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि संत रविदास जी ने सदैव अपने साहित्यों और आदर्शों में तार्किकता को बढ़ावा दिया। इन्होंने पाखंड के विरोध में अभिव्यक्ति की आज़ादी का समर्थन किया। इसके अतिरिक्त प्रो. यादव ने समाज में सभी को समानता का अवसर, समाज सुधार, विवेक शक्ति, विभिन्न प्रकार की अनुभूति, मन पर नियंत्रण आदि विषयों पर संत रविदास के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।

कुलानुशासक प्रो. एमपी सिंह ने चर्चा के दौरान कहा कि संत शिरोमणि रविदास जी संत परंपरा के योगी, समाज सुधारक एवं मानवता के सच्चे मार्गदर्शक रहे हैं जिन्होंने सदैव कर्म और श्रम को प्रधानता दी है। संत रविदास ने सामाजिक सद्भाव एवं समानता की जो ज्योति प्रज्ज्वलित की है, उसका मंगल प्रकाश सदैव आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। डॉ. शिव शंकर यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। वहीं सभी कार्यक्रम के दौरान प्रो. सर्वश कुमार सिंह, डॉ. बलजीत कुमार श्रीवास्तव, अन्य शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *