कपास के व्यावसायिक फर्मों पर बड़ी कार्रवाई: ₹500 करोड़ का फर्जी बिलिंग घोटाला उजागर

मध्य प्रदेश/महाराष्ट्र। इंदौर 22 फरवरी 2025 को आयकर (I-T) विभाग ने बड़े पैमाने पर ऑपरेशन के तहत महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में 30 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में इंदौर सहित कई शहरों में कपास व्यापार से जुड़ी फर्मों पर निशाना साधा गया, जिसके परिणामस्वरूप ₹500 करोड़ के फर्जी बिलिंग घोटाले का खुलासा हुआ। यह ऑपरेशन 18 फरवरी को शुरू हुआ था और तीन दिनों तक 24 × 7 चला, जिसमें 180 से अधिक आयकर अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इस घोटाले के केंद्र में इंदौर के दो प्रमुख व्यवसायी माने जा रहे हैं, जिनमें से एक हृदयेश दीक्षित का नाम सामने आया है। इस कार्रवाई ने इंदौर के व्यापारिक समुदाय में हड़कंप मचा दिया है।
घोटाले का मुख्य स्वरूप
जांच में पता चला कि यह फर्जी बिलिंग घोटाला 2018 से 2022 तक चलाया गया था। इंदौर के दो मास्टर माइंड्स, जो कपास व्यापार में सक्रिय थे, ने अपने 10 कर्मचारियों को “मनीम्यूल्स” (डमी) के रूप में इस्तेमाल किया। इन कर्मचारियों जैसे कि चौकीदारों और ड्राइवरों के व्यक्तिगत दस्तावेजों का उपयोग बिना उनकी जानकारी के 15 फर्जी फर्में बनाने के लिए किया। इन फर्जी फर्मों के जरिए कपास व्यापार के नकली बिल तैयार किए गए, जिन्हें 200 कपड़ा निर्माण इकाइयों को उपलब्ध कराया गया, जिसमें कुछ नामी कंपनिया भी शामिल थीं। इन बोगस बिलों के माध्यम से ये इकाइया अपने खर्चों को बढ़ाकर और मुनाफे को कम दिखाकर आयकर की चोरी कर रही थीं।
पूरे छापेमारी का दायरा
यह ऑपरेशन महाराष्ट्र के तीन शहरों और मध्य प्रदेश के पाँच शहरों इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, खंडवा, और खरगोन जिले के तमाम गांवों में फैला हुआ था। आयकर विभाग की इंदौर इकाई के जांच विंग ने 18 फरवरी की सुबह एक साथ इन सभी स्थानों पर छापेमारी शुरू की। छापेमारी के दौरान व्यवसायियों के कार्यालयों, घरों और अन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया।
बरामदगी और सबूत
इस ऑपरेशन में ₹8 करोड़ की नकदी और ₹2 करोड़ मूल्य के सोने के आभूषण जब्त किए गए।
इस दौरान फर्जी बिलिंग से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए, जो इस घोटाले के पूरे नेटवर्क को उजागर करते हैं।
रियल एस्टेट में निवेश
जांच में पता चला कि घोटाले से कमाया गया पैसा रियल एस्टेट में निवेश किया गया था। मास्टरमाइंड्स अपने ठिकानों और फर्मों के पते बार-बार बदलते थे ताकि उनकी गतिविधियाँ छिपी रहें।
हृदयेश दीक्षित की भूमिका
हृदयेश दीक्षित नाम का प्रमुख व्यवसायी इस घोटाले में मुख्य संदिग्धों में से एक है। सूत्रों के अनुसार, वह इस ऑपरेशन के पीछे के मास्टर माइंड में से एक हो सकता है। उनकी फर्मों और ठिकानों पर छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। हृदयेश का नाम पहले भी मध्य प्रदेश में अन्य घोटालों से जुड़ा रहा है, और उनकी व्यापारिक गतिविधियां अब गहन जांच के दायरे में हैं। हालांकि, आयकर विभाग ने अभी तक उनके खिलाफ ठोस आरोपों की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
प्रभावित पक्ष और परिणाम
इस घोटाले से लाभान्वित होने वाली 200 कपड़ा इकाइयों में से तीन को छापेमारी के दौरान उजागर किया गया। इन इकाइयों ने बोगस बिलों का उपयोग कर भारी कर चोरी की थी। इंदौर के व्यापारियों में इस कार्रवाई से डर और अनिश्चितता का माहौल है। कई लोग इसे कर चोरी के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाइयों में से एक मान रहे हैं।
क्या होगी कानूनी कार्रवाई
आयकर विभाग ने अभी तक पूरे विवरण का खुलासा नहीं किया है, लेकिन यह संकेत दिया है कि आगे की जांच में और भी खुलासे हो सकते हैं। संदिग्धों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है।
जांच का अगला चरण
आयकर विभाग अब इस नेटवर्क के अन्य संभावित लाभार्थियों और सहयोगियों की तलाश में जुट गया है। यह भी देखा जा रहा है कि क्या इस घोटाले का कोई अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन है। जब्त किए गए दस्तावेजों की गहन जाँच जारी है, और जल्द ही और लोगों की गिरफ्तारिया संभव हैं।
मध्य प्रदेश से अभिषेक कुमावत की रिपोर्ट