डोनाल्ड ट्रंप के कड़े फैसले से अफगानी छात्राएं परेशान, ओमान से लौटेंगी अपने देश

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी सहायता कार्यक्रमों में व्यापक कटौती करने के बाद 80 से अधिक अफगान महिलाओं को जो तालिबान से बचकर ओमान में हायर एजुकेशन प्राप्त कर रही थीं, अब अफगानिस्तान लौटने का आदेश दिया गया है। इन महिलाओं की स्कॉलरशिप अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी (USAID) द्वारा वित्तपोषित की गई थी, जो अब बंद होने के कगार पर है। ट्रंप और उनके सहयोगी एलन मस्क ने 90 प्रतिशत से अधिक विदेशी सहायता अनुबंधों को समाप्त करने का फैसला लिया है।

 

यूएसएआईडी द्वारा वित्तपोषित ये स्कॉलरशिप्स जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति के पदभार ग्रहण करते ही अचानक समाप्त कर दी गईं, जब ट्रंप ने विदेशी सहायता पर रोक लगा दी। रिपोर्ट के मुताबिक, एक छात्रा ने मीडिया से कहा, “यह दिल तोड़ने वाला था। हर कोई हैरान था और रो रहा था। हमें बताया गया कि हमें दो हफ्तों के अंदर वापस भेज दिया जाएगा।” लगभग चार साल पहले अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान ने महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लगाई हैं, जिनमें विश्वविद्यालयों में पढ़ाई पर भी रोक शामिल है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील 

ट्रंप के विदेशी सहायता फंडिंग फ्रीज को अमेरिका और दुनिया भर में कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कई सहायता कार्यक्रम पहले ही इसके प्रभावों को महसूस कर रहे हैं। इनमें वे कार्यक्रम भी शामिल हैं जो कमजोर देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों, पोषण कार्यक्रमों और भुखमरी से निपटने के लिए अहम हैं।

ओमान में अध्ययन कर रही इन अफगान महिलाओं ने कहा कि वे अपनी मातृभूमि लौटने की तैयारी कर रही हैं, लेकिन उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है। एक छात्रा ने कहा, “हमें तत्काल सुरक्षा, वित्तीय सहायता और एक सुरक्षित देश में पुनर्वास की आवश्यकता है, ताकि हम अपनी शिक्षा जारी रख सकें।”

स्कॉलरशिप और तालिबान की पाबंदियां

ये अफगान महिलाएं ओमान में USAID के तहत 2018 में शुरू हुए महिला स्कॉलरशिप एन्डोमेंट (WSE) कार्यक्रम के तहत स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही थीं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अफगान महिलाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) जैसे विषयों में शिक्षा प्रदान करना था।

इन महिलाओं ने 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से पहले इन स्कॉलरशिप्स के लिए आवेदन किया था। इसके बाद, दिसंबर 2022 तक कई महिलाएं अफगान विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं, लेकिन तालिबान ने फिर से महिलाओं की उच्च शिक्षा को प्रतिबंधित कर दिया। इन महिलाओं ने बताया कि वे पिछले सितंबर में पाकिस्तान भाग गई थीं, जब यूएसएआईडी ने उन्हें ओमान में अध्ययन के लिए वीजा प्रदान किया था।

महिलाओं के लिए भविष्य की चिंता

एक छात्रा ने बताया, “यह ऐसा है जैसे सबकुछ मुझसे छीन लिया गया हो। यह सबसे बुरा पल था। मैं अभी अत्यधिक तनाव में हूं।” अन्य छात्राओं ने चिंता जताई कि अगर उन्हें अफगानिस्तान वापस भेजा जाता है तो उनके सामने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हम पढ़ाई नहीं कर पाएंगे और हमारे परिवार हमें शादी के लिए मजबूर कर सकते हैं। कई महिलाएं अपने अतीत और सक्रियता के कारण व्यक्तिगत जोखिम का सामना कर सकती हैं।

अफगान महिलाएं देश में खुद को “मृत शरीर” मानती हैं, क्योंकि तालिबान के कठोर शासन ने उनकी जिंदगी को बेहाल कर दिया है। तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंधों का बचाव करते हुए कहा है कि यह सभी निर्णय उनके सर्वोच्च नेता के आदेशों के तहत इस्लामिक शरिया कानून के अनुरूप हैं।

अपनी कठोर नीतियों पर अडिग तालिबान

अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों पर गंभीर संकट के बावजूद तालिबान ने इस मुद्दे को हल करने के प्रयास किए हैं, लेकिन वे अपनी कठोर नीतियों पर अडिग हैं। एक छात्रा ने कहा, “अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए लैंगिक भेदभाव जैसी स्थिति हो गई है, जहां उन्हें बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, जिसमें शिक्षा भी शामिल है।”

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