रामेश्वर बापू ने अयोध्या की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि यह पावन भूमि श्रीराम के समान पूजनीय और वंदनीय है। उन्होंने कहा कि सरयू नदी में स्नान करने से उतना पुण्य प्राप्त होता है, जितना एक हजार कपिला गायों के दान से मिलता है।

राम दरबार की स्थापना से पहले राधामोहन कुंज के सभागार में आरंभ हुई इस नौ दिवसीय रामकथा में रामेश्वर बापू ने कहा कि जितना श्रीराम का महत्व है, उतना ही अवध का भी खास महत्त्व है।
जानकीघाट स्थित राधामोहन कुंज में सजा भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी क दरबार।
उन्होंने कहा कि श्रीराम तो स्व धाम चले गये, किंतु अयोध्या में उनकी उपस्थिति का भान आज भी जीवंत है।उन्होंने स्कंद पुराण के विष्णु खंड का उदाहरण देते हुए बताया कि अयोध्या के दर्शन और पुण्य सलिला सरयू में स्नान का वही फल है, जो एक हजार कपिला गाय के दान का फल है।
राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी के बीच रामेश्वर बापू अवध के आध्यात्मिक विवेचन के लिए सैकड़ों भक्तों के साथ विशेष रूप से गुजरात से अयोध्या पधारे हैं।वे विश्व प्रसिद्ध रामकथा के विशिष्ट प्रवक्ता मोरारी बापू के प्रमुख शिष्यों में शामिल हैं।उनको अपने बीच पाकर अयोध्या के संत-महंत भी बेहद खुश है।
गुजरात से बापू के साथ आए जगदीश भाई कहते हैं कि अयोध्या धाम में बापू के श्रीमुख से वह भी रामकथा को सुनना हम सब का कई जन्मों का सौभाग्य है।हम सब न केवल कथा सुन रहे हैं बल्कि उसके महत्वपूर्ण तथ्यों को नोट कर उस पर आपस में मंथन भी कर रहे हैं।
कथा से पहले मंदिर से नयाघाट होकर कलश यात्रा निकली जिसमें 51 महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर सरयू पूजन किया। वहां से पवित्र जल भरकर रामनाम संकीर्तन के बीच आश्रम ले आया गया।कलश की प्रतिष्ठा और पूजन के बाद श्रीराम कथा आरंभ हुई।