मिसाइल और फाइटर जेट नहीं, भविष्य की जंग में ड्रोन बनेंगे असली ‘ब्रह्मास्त्र’! जानिए यूक्रेन का खास मिशन।

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Ukraine Operation Spider Web: यूक्रेन ने रविवार (1 जून 2025) को ऑपरेशन स्पाइडर वेब (Operation Spiderweb) के तहत रूस के सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाते हुए 40 बॉम्बर्स प्लेन को तबाह कर दिया. यूक्रेन ने 18 महीने की प्लानिंग के बाद इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. यूक्रेन ने कम लागत वाले 150 छोटे FPV ड्रोन का इस्तेमाल किया, जिसमें से 118 ड्रोन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है.

रूसी एयर डिफेंस सिस्टम को दिया चकमा

यूक्रेन सुरक्षा सेवा (SBU) ने इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उन्होंने ड्रोन को गुप्त तरीके से रूस सीमा के भीतर पहुंचाया गया. इन ड्रोन्स को दिन में कम दूरी से हमला करने के लिए ट्रकों पर लकड़ी के ढांचों से लॉन्च किया गया. ड्रोन रूस के सामरिक हवाई अड्डों के पास मोबाइल ट्रकों से लॉन्च किए गए, जिससे रूसी एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देना आसान हुआ. यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इस ऑपरेशन को शानदार उपलब्धि बताया.

यूक्रेन ने बदल दी युद्ध की परिभाषा

ऑपरेशन स्पाइडर वेब को खास तौर पर इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है कि इसने पारंपरिक एयर पावर को चुनौती दी है. यूक्रेन ने फाइटर जेट या क्रूज मिसाइलों को तैनात करने के बजाय विस्फोटकों से लैस सस्ते ड्रोन पर भरोसा किया, जो कारगर साबित हुआ. एक FPV ड्रोन की लागत 430 से 600 डॉलर (लगभग 36,000 से 50,000 रुपये) थी. इन्हीं सस्ते ड्रोन से यूक्रेन ने रूस के चार हवाई अड्डों पर 40 विमानों (Tu-95, Tu-22M3, A-50) को तबाह किया.

दशकों से एयरफोर्स की ताकत को बढ़ाने में बड़े औद्योगिक क्षमता और हाई टेक्नोलॉजी वाले देशों का वर्चस्व रहा है. ये ऑपरेशन दर्शाता है कि कैसे पारंपरिक हवाई ताकत के बिना भी कम लागत में दुश्मनों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जा सकता है. पारंपरिक हवाई ऑपरेशन में महीनों भर की प्लानिंग, बेस्ट फाइटर जेट, ईंधन भरने वाले टैंकर सैटेलाइट कॉर्डिनेशन की जरूरत होती है. ऑपरेशन स्पाइडर वेब इन सभी मामलों में कमजोर था, लेकिन फिर भी यूक्रेन ने युद्ध के क्षेत्र में नया इतिहास लिख दिया है.

भारत के लिए सबक

ड्रोन अब दुनिया भर में तेजी से मुख्य शक्ति बनता जा रहा है. स्पाइडर वेब हमला इस बात का सबूत है कि यूएवी या मानव रहित हवाई ताकत भविष्य के युद्धों की आधारशिला है. इससे सेना दुश्मन के इलाके में बहुत अंदर तक जा सकती है. इससे पायलट के जान को जोखिम भी नहीं होगा.

भारत को मानवरहित प्रणालियों की ओर तेजी से बढ़ना होगा. भारत ने अपने लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और हवाई परिवहन में दशकों तक खूब खर्च किए हैं, लेकिन अब भविष्य में मानव रहित और एआई के इस्तेमाल वाला ड्रोन होगा. भारत ने उस दिशा में शुरुआती कदम उठाए हैं, लेकिन उतनी तेजी से नहीं. यूक्रेनी ऑपरेशन से भारत को स्वदेशी ड्रोन, सशस्त्र यूएवी पर आगे बढ़ना चाहिए.

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