Sports News:छह भारतीय खिलाड़ियों पर लगा बैन, फैन्स को लगा तगड़ा झटका – जानिए पूरा मामला

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जर्मनी के राइन-रूहर में चल रहे विश्व विश्वविद्यालय खेलों (डब्ल्यूयूजी) में मिश्रित टीम कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय बैडमिंटन टीम चयन को लेकर विवादों में घिर गई है क्योंकि चुने गए 12 खिलाड़ियों में से छह को कथित प्रशासनिक चूक के कारण भाग लेने से रोक दिया गया है.

प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए 12 खिलाड़ियों का चयन किया गया था लेकिन केवल छह को ही प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी गई क्योंकि अधिकारी 16 जुलाई को प्रबंधकों की बैठक के दौरान सभी नामों को सही ढंग से प्रस्तुत करने में विफल रहे.

बाहर की गई एक खिलाड़ी अलीशा खान ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘‘यह केवल कुप्रबंधन नहीं है- यह करियर को नुकसान पहुंचाने वाला है. हम जवाब, जवाबदेही और हमारी आवाज सुनी जाने की मांग करते हैं. हमने कोई मैच नहीं गंवाया – हमने भाग लेने का अपना अधिकार ही खो दिया.’’

उन्होंने लिखा, ‘‘यह केवल एक गलती नहीं है. यह एआईयू और हमारी टीम के अधिकारियों द्वारा करियर को नुकसान पहुंचाने वाला है. हम न्याय की मांग करते हैं.’’

सूत्रों के अनुसार बीवी राव और अजीत मोहन भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अधिकारी थे जो बैठक में शामिल हुए थे. देश में विश्वविद्यालय स्तर के खेलों के लिए नोडल संस्था एआईयू ने इस घटना को स्वीकार किया है.

एआईयू सचिव डॉ. पंकज मित्तल ने आगे कोई टिप्पणी करने से इनकार करते हुए पीटीआई को बताया, ‘‘हमें इसकी जानकारी दे दी गई है और मामले की जांच की जा रही है.’’

एक सूत्र के अनुसार यह मामला सिर्फ एक त्रुटि का नहीं था बल्कि ‘व्यवस्थित अनियमितताओं’ का परिणाम था जिसकी शुरुआत भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) में आयोजित चयन ट्रायल से शुरू हुई.

सूत्र ने कहा, ‘‘प्रबंधकों की बैठक के दौरान अधिकारियों को भारत के सभी 12 खिलाड़ियों की सूची वाला एक पत्र दिया गया था. यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वे इसे ध्यान से पढ़ें, गैरमौजूद या घायल खिलाड़ियों की जांच करें और इसके अनुसार नामों की पुष्टि या समायोजन करें. हालांकि उन्होंने इसे हल्के में लिया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘जिन खिलाड़ियों ने ट्रायल में भाग नहीं लिया था उनके नाम भी वहां थे। वे यहां केवल लुत्फ उठाने आए थे। बैठक में उन्होंने एक बुनियादी गलती भी की। उन्हें यह घोषित करना था कि कौन सा खिलाड़ी एकल, युगल और मिश्रित वर्ग में खेलेगा लेकिन उन्होंने इस बारे में ठीक से सूचित नहीं किया.’’

सनीथ दयानंद, सतीश कुमार करुणाकरण, देविका सिहाग, तस्नीम मीर, वर्षिनी विश्वनाथ श्री और वैष्णवी खड़केकर उन छह खिलाड़ियों में शामिल थे जिन्होंने मिश्रित टीम स्पर्धा में भाग लिया.

भारत ने मकाऊ को हराया लेकिन ग्रुप चरण में हांगकांग से हार गया. फिर राउंड ऑफ 16 में अमेरिका और क्वार्टर फाइनल में मलेशिया को हराने के बाद सेमीफाइनल में चीनी ताइपे से हार गया.

रोहन कुमार, दर्शन पुजारी, अदिति भट्ट, अभिनाश मोहंती, विराज कुवाले और अलीशा खान 12 सदस्यीय टीम का हिस्सा थे लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला. पुजारी ने भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) को पत्र लिखकर गहन जांच की मांग की है.

उन्होंने ईमेल में लिखा, ‘‘इस स्तर के कुप्रबंधन ने प्रभावित खिलाड़ियों को काफी भावनात्मक कष्ट पहुंचाया है, खासकर तब जब टीम इंडिया ने खेलों में ऐतिहासिक पदक जीता है. जिन खिलाड़ियों को नामांकन सूची से बाहर रखा गया था उन्हें मैदान पर योगदान देने और इस उपलब्धि का हिस्सा बनने का मौका देने से अनुचित रूप से वंचित किया गया है.’’

पुजारी ने लिखा, ‘‘आज तक प्रबंधकों ने कोई जवाबदेही या ठोस स्पष्टीकरण नहीं दिया है. अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधित्व के इस स्तर पर जहां एथलीटों का करियर, सपने और मनोबल दांव पर लगा है, केवल माफी मांगना पर्याप्त नहीं हो सकता.।’’

हालांकि सूत्र ने आरोप लगाया कि जिन खिलाड़ियों ने असल में ट्रायल में शीर्ष स्थान हासिल किया था उन्हें मिश्रित टीम स्पर्धा से बाहर रखा गया जबकि वे टीम का हिस्सा थे.

सूत्र ने कहा, ‘‘टीम मैनेजर ने बड़ी गलती की. अधिकारियों ने बैठक के दौरान एकाग्रता नहीं दिखाई और ट्रायल के बाद उन्होंने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. उन्होंने सिर्फ छह नाम जमा किए इसलिए बाकी छह को एफआईएसयू ने अनुमति नहीं दी.’’

महिला 400 मीटर धावक देवयानी बजाला ने यह भी आरोप लगाया कि वह प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकी, क्योंकि उनका नाम ‘अधिकारियों द्वारा पुष्टि सूची प्रस्तुत करने में देरी के कारण हटा दिया गया.’

उन्होंने जर्मनी के बोचुम से सोशल मीडिया पर लिखा, ‘‘मैं एक साल से अधिक समय से इस प्रतियोगिता की तैयारी कर रही थी लेकिन (जब) पहले दिन की सूची सामने आई तो 400 मीटर महिला दौड़ से मेरा नाम गायब था.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसका मेरे जीवन और मेरे खेल करियर पर बड़ा प्रभाव पड़ता है. मैं वास्तव में बहुत त्याग, साहस और जुनून के साथ यहां पहुंची थी. अब इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए?’’

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