ट्रंप को शांति का नोबेल पुरस्कार देने की चर्चा, पाकिस्तान-इजरायल के अलावा अब दो और धुर-विरोधी भी इस कोशिश में शामिल

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की दावेदारी करने वाले देशों में अजरबैजान और आर्मेनिया का भी नाम जुड़ गया है. अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने आर्मेनिया संग मिलकर संयुक्त नामांकन भेजने का सुझाव दिया है. उन्होंने ये बयान शुक्रवार (8 अगस्त, 2025 को) वॉशिंगटन में दिया.

अजरबैजान और आर्मेनिया के नेताओं ने डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में दशकों से चले आ रहे संघर्ष को खत्म करने के मसौदे पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद दोनों देशों की ओर से ये बयान दिया गया. अलीयेव ने व्हाइट हाउस के कार्यक्रम में कहा, “शायद हम प्रधानमंत्री (निकोल) पशिनयान के साथ सहमत हों कि वे राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार देने के लिए नोबेल समिति को एक संयुक्त अपील भेजें.” अर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशिनयान ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं.

अर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने क्या कहा?

पाशिनयान ने कहा, “मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं और हम इसकी रक्षा करेंगे और इसे बढ़ावा देंगे.” अजरबैजान और आर्मेनिया के शामिल होने के साथ नोबेल के लिए रिपब्लिकन नेता का समर्थन करने वाले देशों की सूची बढ़कर 5 हो गई है. इससे पहले पाकिस्तान ने ट्रंप को ये पुरस्कार दिए जाने की मांंग की थी.

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल समिति को भेजा एक पत्र भेंट किया था, जिसमें उनके नामांकन का समर्थन किया गया. कंबोडिया ने भी इस पुरस्कार के लिए उनका समर्थन किया.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का श्रेय लेने के बाद पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन किया. उनके दावों के बावजूद भारत ने इस बात से इनकार किया है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद 10 मई को घोषित युद्धविराम में उनकी कोई भूमिका थी।

इजरायल सौंप चुका है पत्र 

ट्रंप के नोबेल शांति पुरस्कार नामांकन के लिए इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की वाशिंगटन डी.सी. यात्रा के दौरान औपचारिक रूप से समर्थन दिया गया. इस मुलाकात के दौरान इजरायली नेता ने ट्रंप को एक पत्र सौंपा, जिसमें शांति पुरस्कार नामांकन के लिए तेल अवीव का समर्थन व्यक्त किया गया था.

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