मुख्य आर्थिक सलाहकार ने जताया भरोसा – अमेरिकी टैरिफ संकट कुछ ही तिमाहियों में खत्म होगा।

वित्त वर्ष 2025 में विकास दर 2024 के 9.2 प्रतिशत से घटकर 6.5 प्रतिशत रहने पर उन्होंने कहा कि कृषि नीतियां वास्तविक जीडीपी वृद्धि में 25 प्रतिशत का योगदान दे सकती हैं।
अमेरिकी टैरिफ को लेकर उनका कहना था कि हीरा-जेवर और कपड़े जैसे सेक्टर पर पहले दौर के कर का असर पड़ा है, और आने वाले समय में दूसरे-तीसरे दौर का असर भी महसूस होगा, जो मुश्किल स्थिति पैदा कर सकता है। सरकार इस पर काम कर रही है और प्रभावित क्षेत्रों के साथ बातचीत जारी है, लेकिन फिलहाल धैर्य रखना होगा।
व्यापार वार्ता को लेकर उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में वैश्विक हालात अस्थिर हैं और संबंध गतिरोध की ओर बढ़ रहे हैं। भारतीय निर्यात पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर उन्होंने विश्वास जताया कि स्थिति एक-दो तिमाहियों में सुधर जाएगी और भारत पर इसका बड़ा असर नहीं होगा, हालांकि कुछ समय के लिए प्रभाव जरूर रहेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि कोई अनुमान नहीं लगा सकता कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत पर टैरिफ बढ़ाने का फैसला क्यों लिया — क्या यह किसी विशेष ऑपरेशन का परिणाम है या बड़ी रणनीति का हिस्सा। टैरिफ के अलावा, तकनीकी बुद्धिमत्ता का प्रभाव, महत्वपूर्ण खनिजों पर निर्भरता और आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती जैसी अन्य चुनौतियों पर भी ध्यान देना जरूरी है।
निजी क्षेत्र को लेकर उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में बड़ी रणनीतिक चुनौतियों को देखते हुए निजी क्षेत्र की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी। अगली तिमाही के बजाय लंबे समय तक इसके लिए काम करना होगा, क्योंकि सरकार अपने प्रयास कर रही है, अब निजी क्षेत्र को भी अपनी भूमिका निभानी होगी।