Acharya Vardhman Sagar, devotees are immersed in patriotism | आचार्य वर्धमान बोले-अशोक चक्र की…

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जैन नसिया में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आचार्यजी और श्रद्धालु पूरी तरह देशभक्ति में नजर आए।

टोंक में राजकीय अतिथि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा कि स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। आज देश में राष्ट्रीय पर्व के रूप में स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। वास्तव में देखा जाए तो जिनका शासन था, वह अंग्रेज देश छो

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जैन नसिया में धर्म सभा में आचार्य श्री ने राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रता दिवस पर कहा कि भारत देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, जिसमें तीन रंग केसरिया, सफेद और हरा और मध्य में अशोक चक्र लगा है। केसरिया रंग सत्य, धर्म का प्रतीक है, सफेद रंग अहिंसा का प्रतीक है और हरा रंग शांति, प्रसन्नता, हरियाली का प्रतीक है। अशोक चक्र में 24 रेखा (लाइन) हैं, जो 24 तीर्थंकरों ने धर्म प्रवर्तन किया है, उसका द्योतक है। स्वतंत्रता से स्वच्छंदता बढ़ना चिंताजनक हैं ।

आचार्य जी की धर्मसभा में महिलाएं भी तिरंगे जैसे कलर की पोषक पहनाकर नाचती नजर आई।

राजेश के पंचोलिया अनुसार आचार्य श्री वर्धमान सागर जी ने प्रवचन में आगे बताया कि भारत देश को आजाद करने में जैन धर्म के लोगों ने तन मन और धन से अपना योगदान देकर प्राणों का बलिदान भी किया है। आज देश में सर्वाधिक आय राजस्व जैन समाज द्वारा टैक्स कर के रूप में दिया जा रहा है। लेकिन हमारा जैन धर्म संगठित नहीं होने के कारण हमारे सिद्धक्षेत्र, मंदिर परतंत्र होते जा रहे हैं, जबकि इन जिनालयों को स्वतंत्र करने के लिए प्रथमाचार्य आचार्य शांतिसागर जी महाराज ने 1100 से अधिक दिनों तक अन्न आहार का त्याग किया था। आज की साधु परंपरा आचार्य श्री शांति सागर जी की देन हैं। टीवी, मोबाइल, सोशल मीडिया के कारण स्वच्छंदता बढ़ना चारित्र के लिए हानिप्रद हो रही हैं ।

महात्मा गांधी ने जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत अहिंसा और सत्य के बल पर ही इस देश को आजाद कराया। जैन धर्म के सिद्धांत विश्व में आज भी प्रासंगिक है। पूरा विश्व अहिंसा छोड़कर हिंसा में लगा है, हिंसा का तांडव नृत्य हो रहा है। पड़ोसी देश बांग्लादेश इसका उदाहरण है, जहां हिंदुओं पर अत्याचार और हमला हो रहा है। आचार्य श्री ने धार्मिक दृष्टिकोण से बताया कि हमारी आत्मा भी कर्मों के कारण पराधीन है। आत्मा पर लगे राग द्वेष विषय भोगों को सभी तीर्थंकरों ने तप,संयम सम्यक दर्शन, ज्ञान, चारित्र रत्नत्रयधर्म से दूर कर आत्मा को स्वतंत्र कराया। स्वतंत्रता दिवस यही संदेश देता है कि आपको अपनी आत्मा को कर्मों से स्वतंत्र कराना है । आपके अच्छे कार्य करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, गलत कार्य करने से पाप की प्राप्ति होती है। भौतिक सुख से ज्यादा आध्यात्मिक सुख जरूरी है।

स्वतंत्रता दिवस पर जैन नसिया में जैन समाज के लोग भी राष्ट्रीय ध्वज लहरा कर देशभक्ति के प्रति अपना जज्बा दिखाया।

आज भारत देश को सावधान रहने की जरूरत है। व्यसन पर चर्चा करते हुए आचार्य श्री ने बताया कि व्यसन हमारे जीवन को बर्बाद कर रहे हैं आज की राजनीति धर्म विहीन, सिद्धांत विहीन हो रही है व्यसन में विवेकहीनता , चरित्र विहीनता है ,शिक्षा हमारी दूषित हो रही है पहले गुरुकुल के माध्यम से संस्कारों की शिक्षा दी जाती थी, वर्तमान में लौकिक शिक्षा से अर्थ उपार्जन करियर निर्माण की शिक्षा मिलती है। व्यापार भी अब नैतिकता विहीन हो रहा है । इंसान मानवता विहीन है,देश में चरित्र और ज्ञान त्याग विहीन की पूजा हो रही है। त्याग की पूजा नहीं होती है। व्यसन छोड़ने पर ही हमारी आत्मा कर्मों से मुक्त होगी।

शासन द्वारा मुफ्त की कल्याण कारी योजनाओं से देश परिश्रम से दूर हो रहा है। देश का काला धन वापस आ जावें, तो भारत देश सोने की चिड़िया बन सकता हैं ।