4 लाख हेक्टेयर में से केवल 40 हजार हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण: निवेश बढ़ाने और फैक्ट्रियों की स्थापना को लेकर सवाल, सरकार ने बनाई समिति, 15 दिनों में पेश करेगी रिपोर्ट

प्रजेंटेशन में बताया गया कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहीत जमीन के अलावा, जो भूमि अभी तक अधिग्रहित नहीं हुई है, उस पर नक्शे पास नहीं किए जा रहे हैं। इस कारण न तो वहां विकास हो पा रहा है और न ही निवेश आ रहा है। मौजूदा रफ्तार से अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी रही तो अधिसूचित पूरी जमीन पर अधिकार करने में कई साल लग जाएंगे और बड़ी मात्रा में भूमि अविकसित रह जाएगी।
इस स्थिति को देखते हुए शासन ने जमीन अधिग्रहण, उद्योगों के विकास, निवेश बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट और सुझाव शासन को सौंपेगी, जिन पर आगे अमल किया जाएगा।
5 अगस्त को पेश किए गए प्रजेंटेशन में यह भी सामने आया कि अगर किसी जमीन पर प्राधिकरण की अधिसूचना से पहले भवन बना है और उसका नक्शा जिला पंचायत या स्थानीय निकाय से पास हुआ है, तब भी नए निर्माण के लिए प्राधिकरण से एनओसी लेनी पड़ती है, जबकि यह व्यावहारिक नहीं है।
गठित समिति की संरचना
छह सदस्यीय समिति का अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव (नियोजन विभाग) को बनाया गया है। इसमें अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव (आवास एवं शहरी नियोजन विभाग), सीईओ इन्वेस्ट यूपी, सचिव व सीईओ यमुना एक्सप्रेसवे, मुख्य नगर एवं ग्राम नियोजक उत्तर प्रदेश तथा प्रमुख सचिव (न्याय विभाग) द्वारा नामित एक अधिकारी सदस्य होंगे।
समिति की जिम्मेदारियां
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देश के अन्य राज्यों की औद्योगिक विकास प्राधिकरणों की अधिग्रहण नीतियों का अध्ययन
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उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेश के नए विकल्प तलाशना
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नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यीडा और अन्य औद्योगिक प्राधिकरणों के मास्टर प्लान क्षेत्रों और अधिग्रहीत भूमि के आंकड़ों का विश्लेषण
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अधिसूचित क्षेत्रों को “अनलॉक” करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करना
👉 यह समिति प्रदेश में औद्योगिक विकास और निवेश को गति देने के लिए आगे का रोडमैप तय करेगी।