ट्रम्प ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का अवलोकन किया, कहा- ‘मैंने परमाणु युद्ध टाल दिया’ – News18 हिंदी

ट्रम्प का बयान: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और वैश्विक तनाव के संदर्भ में
हाल के घटनाक्रम ने वैश्विक राजनीति के केंद्र में एक बार फिर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को ला दिया है। उन्होंने हाल ही में बयान दिया कि उन्होंने परमाणु युद्ध को रोका है, जो उनके अनुसार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में आया है। यह एक महत्वपूर्ण समय है, जहां रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। ट्रम्प का यह दावा काफी चौंकाने वाला है और इससे यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में अमेरिका के हस्तक्षेप से वैश्विक तनाव कम हुआ है?
ट्रम्प के बयान से यह स्पष्ट होता है कि उन्हें अमेरिका की भूमिका पर गर्व है और वे इसे अपनी राजनीतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं। पिछले कुछ समय से वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और युद्ध के मसलों में अमेरिका की कूटनीति पर सवाल उठाए जा रहे थे, लेकिन ट्रम्प का यह हालिया बयान उस दृष्टिकोण में एक नया मोड़ देता है।
भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव की आशंका
अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रुबियो ने हाल ही में एक गंभीर चेतावनी दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम टूट सकता है। यह बयान उस समय आया है जब दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है। उनकी टिप्पणी ने एक बार फिर इस बात की याद दिलाई है कि क्षेत्रीय गतिशीलता में अमेरिका की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण हो सकती है।
रुबियो का बयान यह दर्शाता है कि अमेरिका केवल यूक्रेन और रूस के संदर्भ में नहीं, बल्कि एशिया के अन्य हिस्सों में भी नजर रखे हुए है। उन्होंने इंगित किया कि अमेरिका भारत-पाकिस्तान की गतिविधियों पर ध्यान दे रहा है और उचित समय पर कार्रवाई करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही यह भी महत्वपूर्ण है कि कैसे ये बयान वैश्विक शक्ति संरचना को प्रभावित कर सकते हैं।
ट्रम्प का इंडो-पाक संघर्ष में हस्तक्षेप
ट्रम्प ने हाल ही में कहा कि उन्होंने जेलोंकी के साथ बैठक में भारत-पाक संघर्ष विराम का श्रेय लिया। यह एक बार फिर दिखाता है कि ट्रम्प अपने समय में कूटनीतिक प्रयासों को लेकर कितने आश्वस्त थे। कई लोग उनकी नीति को विवादास्पद मानते हैं, लेकिन ट्रम्प ने हमेशा से अपनी उपलब्धियों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया है।
उनका कहना है कि प्रयासों के कारण ही भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष कुछ हद तक कम हुआ है। हालांकि, उनकी इस टिप्पणी को लेकर कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि क्या वास्तव में उन प्रयासों का कोई ठोस असर पड़ा है? क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव की स्थिति अभी भी बनी हुई है और यह किसी भी समय बढ़ सकती है।
अमेरिका की नजर भारत-पाकिस्तान पर
ट्रम्प के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि हर दिन भारत-पाकिस्तान पर अमेरिका की नजर बनी हुई है। यह एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है जो यह दर्शाता है कि अमेरिका एशिया में स्थिरता बनाए रखने के लिए किस हद तक तैयार है। उनके अनुसार, युद्ध कभी भी हो सकता है, जिसका सीधा मतलब है कि दोनों देशों के बीच वातावरण बेहद तनावपूर्ण है।
कुछ राजनितिक विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका का यह ध्यान भारतीय उपमहाद्वीप की सुरक्षा को बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। इसलिए अमेरिका ने अपने रणनीतिक सहयोगियों के साथ संपर्क में रहना आवश्यक समझा है। यह भी एक संकेत है कि अमेरिका की विदेश नीति में एशियाई देशों के प्रति एक मजबूत रुख अपनाने की आवश्यकता है।
ट्रम्प के भव्य दावे
डोनाल्ड ट्रम्प ने यह भी दावा किया है कि “6 युद्ध 6 महीने में समाप्त हो गए,” जिसमें उन्होंने हमास के विनाश का भी जिक्र किया। उनका यह बयान सिर्फ राजनीतिक प्रचार के लिए नहीं बल्कि एक निश्चित राजनीतिक नारे के तहत किया गया है। हालांकि, यह समझना आवश्यक है कि उनके दावों में कितना सच है और क्या यथार्थ में ऐसा संभव भी था?
यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिका की लघु और दीर्घकालिक कूटनीतिक नीतियों में समय-समय पर बदलाव आता रहा है। ट्रम्प के दावों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कुछ लोग इसे उनकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानते हैं, जबकि अन्य इसे युद्ध की वास्तविकताओं की अनदेखी के रूप में देखते हैं।
निष्कर्ष
हालांकि ट्रम्प के बयान और अमेरिकी विदेश नीति के संदर्भ में उठाए गए सवाल महत्त्वपूर्ण हैं, लेकिन इससे यह भी सरोकार है कि वैश्विक राजनीतिक वातावरण किस दिशा में बढ़ रहा है। ट्रम्प का आत्मविश्वास और उनकी कूटनीतिक उपलब्धियों का बखान केवल उनकी राजनीतिक छवि को मजबूत नहीं करता, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वे अपने कार्यकाल के समय को किस प्रकार परिभाषित करना चाहते हैं।
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और अमेरिका की रणनीति एशिया में स्थिरता स्थापित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। यही कारण है कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के संदर्भ में अमेरिका की गतिविधियों पर ध्यान देना आज की आवश्यकता है। वैश्विक राजनीति की इस पेचीदगी में अमेरिका का ध्यान और ट्रम्प के बयानों का प्रभाव क्या होगा, यह देखना अभी बाकी है।