सेहत

गंजेपन पर बाल उगाने वाला सीरम : ताइवान के वैज्ञानिकों ने किया शोध

हेयर ग्रोथ सीरम : ताइवान के वैज्ञानिकों ने विकसित किया नया फार्मूला, तीन सप्ताह में उग आए नए बाल

ताइवान के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा रब-ऑन सीरम विकसित किया है, जिससे गंजेपन से पीड़ित चूहों के सिर पर मात्र तीन सप्ताह में नए बाल उग आए। यह खोज बाल प्रत्यारोपण और महंगे उपचारों के युग को समाप्त कर सकती है। इसमें शल्य चिकित्सा या खर्चीली थेरेपी की आवश्यकता नहीं होती। चूहों पर हुए सफल प्रयोगों से अब मानव परीक्षणों का मार्ग प्रशस्त हुआ है। आइए इस शोध के बारे में विस्तार से जानें।


प्रेरणा कैसे मिली?

शोधकर्ताओं ने पाया कि जब त्वचा पर हल्की चोट या जलन होती है, तो ‘हाइपरट्राइकोसिस’ नामक स्थिति उत्पन्न होती है, जिसमें उस स्थान पर असामान्य रूप से बाल उगने लगते हैं। इसी अवलोकन से प्रेरित होकर वैज्ञानिकों ने बालों की जड़ों तक पहुँचने वाली एक विशेष प्रणाली विकसित की और उसी के आधार पर इस सीरम का निर्माण किया।


चूहों पर सफल प्रयोग

गंजे चूहों की त्वचा पर जब हल्का उत्तेजक (सोडियम डोडेसिल सल्फेट) लगाया गया, तो उनकी रोग प्रतिरोधक कोशिकाएँ सक्रिय हो गईं। इन कोशिकाओं ने त्वचा के नीचे मौजूद वसा ऊतक को संकेत भेजे, जिससे फैटी एसिड्स मुक्त हुए। इन फैटी एसिड्स ने निष्क्रिय बाल कूप (हेयर फॉलिकल्स) की स्टेम कोशिकाओं को सक्रिय किया, जिससे नए रोम विकसित हुए।


सीरम के मुख्य घटक

इस सूजन-रोधी सीरम में दो प्रकार के मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स पाए जाते हैं – ओलिक अम्ल और पैल्मिटोलेक अम्ल। ये तत्व मानव शरीर की वसा तथा ऑलिव व एवोकाडो तेल जैसे वनस्पति तेलों में स्वाभाविक रूप से पाए जाते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि चूहों पर इनका प्रत्यक्ष उपयोग पारंपरिक उत्तेजकों जितना ही प्रभावी और पूरी तरह सुरक्षित साबित हुआ है।


मानव उपयोग की दिशा में कदम

शोधकर्ताओं ने इस सीरम का पेटेंट प्राप्त कर लिया है और अब क्लिनिकल परीक्षणों की तैयारी चल रही है। यदि परीक्षण सफल रहे, तो यह सीरम ओवर-द-काउंटर उत्पाद के रूप में बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सीरम अनुवांशिक, हार्मोनल या आयुजन्य गंजेपन के उपचार में क्रांतिकारी सिद्ध हो सकता है।


वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व

यह शोध न केवल सौंदर्य के क्षेत्र में उपयोगी है, बल्कि स्टेम कोशिकाओं की सक्रियता की नई प्रक्रिया को भी उजागर करता है। यदि त्वचा की प्राकृतिक मरम्मत प्रणाली का उपयोग करके बालों का झड़ना रोका जा सके, तो दुनिया भर के लाखों लोगों को एक सरल, सुलभ और सस्ता समाधान मिल सकेगा।


भविष्य की संभावनाएँ

मानव परीक्षण अगले एक से दो वर्षों में आरंभ होने की संभावना है। यदि परिणाम सकारात्मक रहे, तो घने बाल पाना अब सपना नहीं रहेगा। हालांकि, इसकी सुरक्षा और दीर्घकालिक प्रभावों का मूल्यांकन आवश्यक होगा। इसके बावजूद, यह खोज सौंदर्य उद्योग को एक नया मोड़ देने वाली साबित हो सकती है।


प्रश्नोत्तर (FAQ)

1. ताइवान के सीरम से गंजे चूहों में बाल कैसे उगे?
सीरम में मौजूद ओलिक अम्ल और पैल्मिटोलेक अम्ल त्वचा के नीचे वसा ऊतक को सक्रिय करते हैं, जिससे सुप्त बाल कूपों की स्टेम कोशिकाएँ जाग्रत होकर मात्र 21 दिनों में नए बाल उगाने लगती हैं।

2. यह सीरम अन्य उपचारों से कैसे भिन्न है और इसकी प्रेरणा क्या थी?
यह सीरम बिना सूजन उत्पन्न किए कार्य करता है तथा इसमें न शल्य चिकित्सा की आवश्यकता है, न महंगे उपचारों की। इसकी प्रेरणा ‘हाइपरट्राइकोसिस’ से मिली, जिसमें त्वचा पर हल्की चोट के बाद असामान्य बाल वृद्धि देखी जाती है।

3. मानव उपयोग कब संभव होगा और भविष्य क्या है?
सीरम का पेटेंट मिल चुका है तथा एक-दो वर्षों में क्लिनिकल परीक्षण आरंभ होंगे। यदि ये सफल रहे, तो यह सीरम बाजार में एक क्रांतिकारी समाधान के रूप में उपलब्ध होगा, विशेषकर अनुवांशिक और हार्मोनल गंजेपन के लिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button