
तेघड़ा सीट पर जारी मतगणना में भाजपा के रजनीश कुमार 27,176 वोटों से आगे बने हुए हैं।
तेघड़ा विधानसभा चुनाव परिणाम 2025 ने एक बार फिर इस सीट की राजनीतिक प्रकृति को केंद्र में ला दिया है। ताज़ा रुझानों में भाजपा के रजनीश कुमार लगभग 2.7 लाख से अधिक वोटों की बढ़त के साथ आगे चल रहे हैं, जिससे भाजपा का इस सीट पर बढ़ते प्रभाव का संकेत मिलता है। कुल 14 राउंड की गिनती पूरी होने के बाद यह बढ़त और मजबूत हुई। इस मुकाबले में सीपीआई के उम्मीदवार राम रतन सिंह दूसरे स्थान पर हैं — वही नेता जिन्हें 2020 में जनता ने विधानसभा पहुँचाया था। इस बार मुकाबला बहुकोणीय है, जहाँ भाजपा, सीपीआई, बसपा और कई निर्दलीय मैदान में हैं।
तेघड़ा सीट पहले बरौनी के नाम से जानी जाती थी। नाम बदलने के बावजूद क्षेत्र की राजनीतिक संवेदनाएँ वैसी ही बनी हुई हैं — आर्थिक रूप से सक्रिय, श्रमिक वर्ग की बहुलता और औद्योगिक व ग्रामीण मिश्रित आबादी। इस बार कुल 17 आवेदनों में से 13 प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने का मौका मिला। बसपा ने मोहम्मद सकील को मैदान में उतारा, जबकि सीपीआई ने परंपरागत दावा रखते हुए फिर से राम रतन सिंह को टिकट दिया। भाजपा ने इस चुनाव में रजनीश कुमार पर भरोसा जताया, जिनकी लोकप्रियता गाँव-देहात से लेकर शहरी बूथों तक प्रभावी दिखी।
चुनाव के दौरान मतदाताओं का रुझान विकास, स्थानीय रोजगार, बरौनी औद्योगिक क्षेत्र से जुड़ी मांगों और ग्रामीण समस्याओं पर केंद्रित रहा। भाजपा ने अपना प्रचार मुख्य रूप से सड़क-घाटों के विकास, राजेन्द्र सेतु क्षेत्र में सुधार और सिमरिया घाट समेत धार्मिक स्थलों के उन्नयन के वादों पर कायम रखा। वहीं सीपीआई ने किसान-मजदूर नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र के संरक्षण को अपना मुख्य मुद्दा बनाया। बसपा ने पिछले वर्षों में उपेक्षित वर्गों के प्रतिनिधित्व को केंद्र में रखकर चुनाव को सामाजिक न्याय के एजेंडे पर मोड़ा।
तेघड़ा की भौगोलिक और सांस्कृतिक संरचना भी चुनावी वातावरण को प्रभावित करती है। राजेन्द्र सेतु, धर्मराज घाट अयोध्या, सिमरिया घाट जैसे धार्मिक स्थल इस क्षेत्र की पहचान हैं। त्योहारों और मेलों के दौरान यहाँ बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं, जिसके कारण कई राजनीतिक दल अपने प्रचार अभियान इन्हीं जगहों से शुरू करते हैं। बरौनी का औद्योगिक क्षेत्र इस सीट के आर्थिक ढाँचे को प्रभावित करता है, जिससे रोजगार और मजदूरी से जुड़े मुद्दे इस सीट के मूल में शामिल रहते हैं।
2025 के इस मुकाबले में मतदाताओं ने फिर से बड़े दलों को प्राथमिकता दी है। भाजपा की ओर झुकते रुझानों ने यह संकेत दिया है कि क्षेत्र में पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ी है। वहीं सीपीआई अपनी पुरानी पकड़ बनाए रखने में संघर्ष करती दिखी। बसपा के मोहम्मद सकील ने भी मैदान में सक्रिय भूमिका निभाई, लेकिन वोटों का बड़ा हिस्सा भाजपा और सीपीआई के बीच बाँटता दिखा।
तेघड़ा विधानसभा चुनाव परिणाम यह भी दर्शाता है कि जनता ने इस बार स्थिरता और क्षेत्रीय विकास को अहमियत दी है। रजनीश कुमार की बढ़त को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मतदाता बदलाव और औद्योगिक-ग्रामीण संतुलन की ओर झुकाव दिखा रहे हैं। 2025 का यह चुनाव तेघड़ा की राजनीति में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है, जहाँ भाजपा का प्रभाव अगले कई वर्षों तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।




