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भारत कैसे पहुंची इथियोपिया में फटे ज्वालामुखी की राख? पढ़ें कितनी है खतरनाक

इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख दिल्ली-एनसीआर तक पहुँच गई है। यह राख गुजरात, राजस्थान, हरियाणा होते हुए दिल्ली आई है और अब हिमालय की ओर बढ़ रही है। उड़ानों पर इसका असर पड़ा है। राख में सल्फर डाइऑक्साइड और कांच के कण हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इससे वायु गुणवत्ता पर ज्यादा असर नहीं होगा, लेकिन मास्क पहनने की सलाह दी गई है।

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HighLights

  1. इथियोपियाई राख दिल्ली-एनसीआर पहुंची
  2. फ्लाइट संचालन प्रभावित, देरी और रद्द
  3. मास्क पहनने की सलाह जारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी से निकली राख दिल्ली एनसीआर में पहुंच चुकी है। इंडियामेटस्काई वेदर के मुताबिक, राख का यह बादल पहले पश्चिम से गुजरात में घुसा और फिर राजस्थान, उत्तर-पश्चिम महाराष्ट्र, हरियाणा से होते हुए दिल्ली एनसीआर पहुंचा।

अब यह हिमालय और दूसरे उत्तरी इलाकों की ओर बढ़ रहा है। राख के इन बादलों के कारण फ्लाइट्स के संचालन पर असर पड़ा है। कई एयरलाइंस ने फ्लाइट को रद कर दिया है और ज्यादातर देरी से चल रही हैं। राख के ये बादल जिन क्षेत्रों से गुजर रहे हैं, वहां का आसमान सामान्य से ज्यादा काला दिख सकता है।

अब आपको बताते हैं कि राख के बादल भारत कैसे पहुंचे और इससे किन राज्यों के प्रभावित होने की संभावना है…

दरअसल इथियोपिया के इरिट्रिया बॉर्डर के पास अदीस अबाबा से करीब 800 किमी उत्तर-पूर्व में मौजूद अफार इलाके से एक ज्वालामुखी है हेली गुब्बी, जो पिछले 10 हजार साल से शांत है। रविवार को सुबह करीब 8:30 बजे GMT पर इसमें विस्फोट हुआ। इस धमाके से निकली राख के मोटे गुबार आसमान में 14 किलोमीटर तक ऊपर उठे।

यह ज्वालामुखी जियोलॉजिकली एक्टिव रिफ्ट वैली में है, जहां दो टेक्टोनिक प्लेट्स मिलती हैं। राख लाल सागर से होते हुए यमन और ओमान तक गई और फिर भारत की ओर बढ़ने लगी। मंगलवार को यह दिल्ली एनसीआर तक पहुंच गई और इस कारण विजिबलिटी कम हो गई।

क्या यह राख खतरनाक है?

इस बादल में ज्वालामुखी की राख, सल्फर डाइऑक्साइड और कांच और चट्टान के छोटे कण शामिल हैं। राख के बादल 100-120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसमान में 15,000-25,000 फीट की ऊंचाई पर हैं। कुछ लेयर में यह 45,000 फीट तक उठ रहे हैं। मौसम विभाग के अनुसार, इस ऊंचाई की वजह से भारत के शहरों के एक्यूआई खराब होने की उम्मीद नहीं है।

हालांकि इसे कारण नेपाल की पहाड़ियों, हिमालय और उत्तर प्रदेश के आस-पास के तराई इलाके में So2 लेवल पर असर पड़ेगा, क्योंकि कुछ मैटेरियल पहाड़ियों से टकराएगा और बाद में चीन चला जाएगा। जमीन पर इसका असर सिर्फ गहरे आसमान और धुंधले हालात जितना ही रहेगा।

कुछ जगहों पर बादल के पार्टिकल सतह पर गिर सकते हैं, लेकिन इसकी भी संभावना बेहद कम है। मौसम विभाग का कहना है कि लोगों को धूल भरी आंधी जैसा आसमान दिख सकता है, लेकिन जमीन पर नुकसानदायक पार्टिकुलेट मैटर का जमावड़ा नहीं होगा। लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी गई है।

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