नई दिल्ली

बेरोजगार DTC कर्मचारियों को दिल्ली सरकार देने जा रही है प्रदूषण प्रहरी की नई जिम्मेदारी।

बेरोजगार DTC ड्राइवरों और कंडक्टरों की बल्ले-बल्ले! अब मिलेगी नई नौकरी का मौका

बदलती परिवहन व्यवस्था और नई परेशानी

दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में सार्वजनिक परिवहन को आधुनिक बनाने के लिए इलेक्ट्रिक बसों की ओर तेजी से कदम बढ़ाए हैं। इससे दिल्ली का पर्यावरण सुधर रहा है, लेकिन इसका एक बड़ा असर DTC (दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन) कर्मचारियों पर पड़ा है। इलेक्ट्रिक क्लस्टर बसों के आने से कई ड्राइवर और कंडक्टर अप्रयुक्त हो गए हैं, क्योंकि निजी बस कंपनियां अपने खुद के कर्मचारी रख रही हैं।

DTC के पास हजारों प्रशिक्षित लेकिन वर्तमान में निष्क्रिय ड्राइवर और कंडक्टर बैठे हैं, जिनका उपयोग सही तरीके से नहीं हो पा रहा। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने इन कर्मचारियों को बेरोजगारी की बजाय एक नए मिशन में उपयोग करने का फैसला किया है।


प्रदूषण नियंत्रण में मिल सकता है अहम योगदान

दिल्ली में प्रदूषण हर साल बड़ी चुनौती बनकर सामने आता है। सरकार ने अब एक अनोखा समाधान निकाला है—इन अतिरिक्त DTC कर्मचारियों को दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी (DPCC) और ट्रैफिक पुलिस जैसी एजेंसियों में तैनात किया जाएगा।

इनकी मदद से वाहन प्रदूषण, नियम उल्लंघन, वाहन धुआं, और निर्माण स्थलों पर धूल प्रदूषण की रियल-टाइम निगरानी की जाएगी। सरकार का मानना है कि ये कर्मचारी फील्ड में पहले से काम करने के अनुभव के कारण इस काम को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।


DTC कर्मचारियों का बेहतर उपयोग

एक सरकारी अधिकारी के अनुसार, इस समय DTC में लगभग 5,714 रेगुलर कर्मचारी और 23,054 कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी उपलब्ध हैं। इनमें से कई पिछले कुछ समय से बिना काम के बैठे हैं। सरकार इन कर्मचारियों को प्रदूषण मॉनिटरिंग, चालान प्रक्रिया, हवा की गुणवत्ता रिपोर्टिंग और नियमों की जांच जैसे कामों में नियुक्त करने की तैयारी कर रही है।

इस कदम से न सिर्फ बेरोजगार कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा, बल्कि प्रदूषण की रोकथाम में भी महत्वपूर्ण मदद मिलेगी।


फील्ड मॉनिटरिंग होगी मजबूत

Delhi Pollution Control Committee (DPCC) ने कई बार बताया है कि उनके पास पर्याप्त फील्ड स्टाफ नहीं है। मॉनिटरिंग के लिए टीमों की कमी के कारण कई जगहों पर कार्रवाई समय से नहीं हो पाती।

DTC कर्मचारियों की नियुक्ति से फील्ड सर्विलांस बढ़ेगा, जिससे सड़क पर धुआं फैलाते वाहन, कचरा जलाने की घटनाएं, और निर्माण स्थलों की निगरानी आसानी से की जा सकेगी।


ट्रैफिक पुलिस को मिलेगा नई ऊर्जा वाला सहयोग

ट्रैफिक पुलिस की भी यही स्थिति है। मेट्रो शहर होने के बावजूद दिल्ली की सड़कों पर पर्याप्त निगरानी नहीं हो पा रही। अब DTC के प्रशिक्षित कर्मचारी ट्रैफिक पुलिस की मदद करेंगे।
ये कर्मचारी प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की पहचान करेंगे, चालान में मदद करेंगे और जरूरत पड़ने पर नियम लागू करवाएंगे।


सरकारी फैसले के फायदे

  • बेरोजगार DTC कर्मचारी फिर से सक्रिय भूमिका निभा पाएंगे।

  • Delhi सरकार को प्रशिक्षित और अनुभवी फील्ड स्टाफ मिलेगा।

  • DPCC और ट्रैफिक पुलिस को मिलेगी अतिरिक्त जनशक्ति।

  • दिल्ली में प्रदूषण की निगरानी और रोकथाम और मजबूत होगी।


भविष्य की योजना

यदि यह मॉडल सफल होता है, तो दिल्ली सरकार इन कर्मचारियों को अस्थायी नहीं बल्कि स्थायी रूप से पर्यावरण सुरक्षा मिशन से जोड़ सकती है।
भविष्य में ई-वाहनों का उपयोग और बढ़ेगा, इसीलिए कर्मचारियों को पर्यावरण मॉनिटरिंग में ट्रेनिंग देकर नए कौशल भी सिखाए जाएंगे।


निष्कर्ष

DTC के ड्राइवरों और कंडक्टरों को अब सिर्फ बसें चलाने तक सीमित नहीं रखा जाएगा। वे अब राजधानी की हवा साफ रखने के मिशन में योगदान देंगे। यह पहल न सिर्फ बेरोजगारों के लिए नई उम्मीद है, बल्कि दिल्ली के लिए हरियाली और स्वच्छ हवा का नया रास्ता भी खोलती है।

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