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छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा क्षेत्र में 37 सक्रिय नक्सलियों ने विद्रोह का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण किया। बीते 23 महीनों में 2200 से अधिक माओवादी समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बन चुके हैं।

हिंसा से सद्भाव का सफर

37 नक्सलियों की मुख्यधारा में वापसी

दंतेवाड़ा में कुल 37 नक्सलियों ने पुलिस और CRPF अधिकारियों के सामने आत्मसर्पण किया। इनमें बहुत से हार्डकोर माओवादी नेता भी थे।

समाज से कटे लोग, अब समाज के हिस्से

नक्सल संगठन छोड़ने वालों ने माना कि अब हिंसा से विकास संभव नहीं है, बल्कि शिक्षा, रोजगार और शांति ही सही रास्ता है।

महिलाओं की अहम भागीदारी

12 महिला नक्सलियों का सरेंडर होना इस बात का संकेत है कि महिलाएं अब हिंसा के बजाय सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन को प्राथमिकता दे रही हैं।

आर्थिक और सामाजिक सहायता

सरकार की रिहैबिलिटेशन पॉलिसी के अंतर्गत इन्हें नकद सहायता, रहने की सुविधा, कौशल विकास प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर भी मिलेंगे।

बदलती मानसिकता, घटती नक्सली ताकत

केवल दंतेवाड़ा में 20 महीनों में 508 नक्सली समर्पण कर चुके हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि नक्सली संगठन कमजोर हो रहा है।

नई सोच, नया भविष्य

सरेंडर करने वालों ने कहा कि वे अब खेती, छोटा व्यवसाय या नौकरी करके अपने परिवार को बेहतर जीवन देना चाहते हैं।

नक्सलवाद का भविष्य

अब सुरक्षा एजेंसियां संवाद और विकास को हथियार बनाकर संघर्ष खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।

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