भाद्रपद हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के छठे महीने को का महीना कहा जाता है। ये श्रावण के बाद और आश्विन से पहले आता है।
विवरण :- हिन्दू पंचांग के अनुसार साल के छठे महीने को का महीना कहा जाता है। ये श्रावण के बाद और आश्विन से पहले आता है।
अंग्रेज़ी महीना :- अगस्त – सितम्बर
हिजरी माह शव्वाल – ज़िलक़ाद
व्रत एवं त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, राधाष्टमी, अनन्त चतुर्दशी
जयंती एवं मेले वामन जयन्ती
पिछला :- श्रावण
अगला :- आश्विन
अन्य जानकारी भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है।
भाद्रपद मास में आने वाला अगला पर्व कृष्ण अष्टमी के नाम से जाना जाता है। यह उपवास पर्व उत्तरी भारत में विशेष महत्व रखता है।
भाद्रपद माह, कृष्ण पक्ष की द्वादशी को वत्स द्वादशी मनायी जाती है। इसमें परिवार की महिलाएं गाय व बछडे का पूजन करती हैं। इसके पश्चात् माताएं गऊ व गाय के बच्चे की पूजा करने के बाद अपने बच्चों को प्रसाद के रुप में सूखा नारियल देती है। यह पर्व विशेष रुप से माता का अपने बच्चों कि सुख – शान्ति से जुड़ा हुआ है।
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा, उपवास व आराधना का शुभ कार्य किया जाता है। पूरे दिन उपवास रख श्री गणेश को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है। प्राचीन काल में इस दिन लड्डूओं की वर्षा की जाती थी, जिसे लोग प्रसाद के रूप में लूट कर खाया जाता था। गणेश मंदिरों में इस दिन विशेष धूमधाम रहती है। गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करने चाहिए। विशेष कर इस दिन उपवास रखने वाले उपासकों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए, अन्यथा उपवास का पुण्य प्राप्त नहीं होता है।
भाद्रपद, शुक्ल पक्ष, एकादशी तिथि, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है। देवझूलनी एकादशी में विष्णु जी की पूजा, व्रत, उपासना करने का विधान है। देवझूलनी एकादशी को पदमा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विष्णु देव की पाषाण की प्रतिमा अथवा चित्र को पालकी में ले जाकर जलाशय से स्थान करना शुभ माना जाता है। इस उत्सव में नगर के निवासी विष्णु गान करते हुए पालकी के पीछे चल रहे होते है। उत्सव में भाग लेने वाले सभी लोग इस दिन उपवास रखते है।
भाद्रपद माह में आने वाले पर्वों की श्रंखला में अगला पर्व अनन्त चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्ध है। भाद्रपद चतुर्दशी तिथि, शुक्ल पक्ष, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में यह उपवास पर्व इस वर्ष मनाया जाता है। इस पर्व में दिन में एक बार भोजन किया जाता है। यह पर्व भगवान विष्णु के अनन्त स्वरूप पर आधारित है। इस दिन “ऊँ अनन्ताय नम:” का जाप करने से विष्णु जी प्रसन्न होते है।
भाद्रपद महीना आरंभ, जानें भादो में क्या करें क्या न करें :-
आज से भाद्रपद महीने की शुरुआत हो चुकी है। 20 अगस्त से 18 सितंबर तक भादो का महीना रहने वाला है। भादो का महीना भगवान शिव, कृष्ण और गणेशजी की उपासना के लिए विशेष फलदायी है। इस महीने में कुछ नियमों का पालन जरुर करना चाहिए। ताकी व्यक्ति को भगवान शिव के साथ भगवान कृष्ण और गणेशजी की कृपा प्राप्त हो सके।
आज से भादो का महीना का आरंभ हो चुका है। 20 अगस्त से लेकर 18 सितंबर तक भादों का महीना रहेगा। भादो के महीने को भाद्रपद महीना भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सिर्फ सावन ही नहीं बल्कि भादो का महीना भी भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यह महीना भगवान श्री कृष्ण और भगवान गणेश को भी समर्पित है। इस पूरे महीने स्नान, दान और पूजा पाठ करने से व्यक्ति को सुख – समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन की तमाम तरह की समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। इस महीने में भगवान शिव, भगवान कृष्ण और गणेशजी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपको कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए।
“चैते गुड़ बैसाखे तेलए जेठे पन्थ असाढ़े बेल,
सावन साग न भादो दही, क्वार करेला कातिक मही।
अगहन जीरा पूसे धना, माघे मिश्री फागुन चना,
ई बारह जो देय बचाय, ओहि घर बैद कबौ न जाय ।।”
भाद्रपद महीने में क्या करें क्या न करें
1) भादो के महीने में अच्छी सेहत पाने के लिए गुड़ का सेवन बिल्कुल भी न करें। साथ ही इस महीने दही भी नहीं खानी चाहिए। इसके अलावा बैंगन, मांस मदिरा आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
2) भाद्र पद के महीने में नारियल के तेल का इस्तेमाल खाने में नहीं करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से संतान सुख में बाधा आ सकती है। जो लोग संतान सुख की कामना कर रहे हैं या नवविवाहत हैं उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए।
3) भाद्रपद महीने में मन में व्यक्ति को शुद्ध विचार लाने चाहिए। इस दौरान शादीशुदा जातकों को शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। मन में पवित्र विचार ही लाने चाहिए।
4) इस पूरे महीने व्यक्ति को अपने बाल नाखून आदि नहीं काटने चाहिए। खासकर के रविवार, सोमवार और गुरुवार के दिन महिलाओं और पुरुष दोनों को ही बाल नहीं धोने चाहिए न ही काटने चाहिए।
5) भगवान कृष्ण की पूजा के लिए भी यह महीना लाभकारी रहेगा। इस पूरे महीने भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करने के साथ ही उन्हें तुलसी का भोग रोजाना लगाएं। रविवार के लिए तुलसी का पत्ता पहले ही तोड़कर रख लें।
6) इस महीने चावल या नारियर के तेल का कोई आपको दान दें तो ऐसा दान बिल्कुल भी न लें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नारियल और चावल का दान लेने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
भाद्रपद महीने का महत्व
भाद्रपद या भादो का महीना भगवान श्री कृष्ण को अधिक प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान कृष्ण और भगवान गणेश जी पूजा करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भादो माह में देवी – देवताओं की पूजा करने से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा, व्यक्ति को जीवन में खुशी, सफलता और सौभाग्य का लाभ मिलता है।
भाद्रपद भगवान कृष्ण का पसंदीदा महीना है, इसलिए यह महीना कृष्ण भक्तिए व्रत और उपाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, जिसे देशभर में जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस महीने में कई प्रमुख त्योहार आते हैं जैसे कजरी तीज, भगवान गणेश महोत्सव, अनंत चतुर्दशी आदि त्योहार आते हैं। भादो के महीने में गीता का पाठ करना भी शुभ माना गया है। ऐसा करने से जीवन में सुख समृद्धि और यश में वृद्धि होती है। संतान प्राप्ति जो लोग कामना कर रहे हैं उन्हें इस दौरान गोपाल मंत्र का पाठ करना चाहिए।
ज्योतिषीय एवं पौराणिक महत्व
भाद्रपद का नाम संस्कृत के दो शब्दों “भद्रा” से लिया गया है, जिसका अर्थ है शुभ या सौभाग्यशाली, और “पदा” जिसका अर्थ है तिमाही। यह महीना भारत के कई हिस्सों में वर्षा ऋतु से शरद ऋतु में संक्रमण से जुड़ा है। ज्योतिषीय रूप से, भाद्रपद को नए प्रयासों की शुरुआत के लिए एक शुभ समय माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य प्रबल होता है।
हिंदू पौराणिक कथाओं में भाद्रपद कई महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा हुआ है। सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण का जन्म है, जिसे इस महीने के दौरान कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह त्यौहार कृष्ण के दिव्य जन्म की याद दिलाता है, जिन्हें प्रेम, भक्ति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।
कृष्ण जन्माष्टमी
कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे अक्सर गोकुलाष्टमी या केवल जन्माष्टमी के रूप में जाना जाता है, भाद्रपद के दौरान बड़े उत्साह के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। भक्त उपवास करते हैं, भक्ति गीत गाते हैं, कृष्ण के जीवन को दर्शाते हुए नृत्य नाटक करते हैं और विभिन्न प्रकार की पूजा करते हैं। मंदिरों और घरों को खूबसूरती से सजाया जाता है, और हिंदू मान्यताओं के अनुसार उनके जन्म के सही समय, मध्यरात्रि में भगवान कृष्ण के जन्म का जश्न मनाने के लिए विस्तृत दावतें तैयार की जाती हैं।
गणेश चतुर्थी
भाद्रपद माह में पड़ने वाला एक और महत्वपूर्ण त्यौहार गणेश चतुर्थी है। यह त्यौहार भगवान गणेश के जन्म का उत्सव है, जो बाधाओं को दूर करने वाले और नई शुरुआत के देवता के रूप में जाने जाते हैं। गणेश की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं और घरों और सार्वजनिक पंडालों में उनकी पूजा की जाती है। पूजा की अवधि के बाद, इन मूर्तियों को जल निकायों में विसर्जित कर दिया जाता है, जो सृजन और विघटन के चक्र का प्रतीक है।
पितृ पक्ष
भाद्रपद पितृ पक्ष का समय भी है, जो अपने पूर्वजों के सम्मान के लिए समर्पित अवधि है। ऐसा माना जाता है कि इस पखवाड़े के दौरान, दिवंगत पूर्वजों की आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं। भक्त अपने पूर्वजों को प्रार्थनाए भोजन और पानी चढ़ाते हैं, उनका आशीर्वाद और मुक्ति मांगते हैं। यह प्रथा पारिवारिक बंधनों और अपने वंश के प्रति सम्मान के महत्व को पुष्ट करती है।