ई – शिक्षा कोष पोर्टल से जुड़ा है। गोपालगंज में, शिक्षा विभाग ने 410 शिक्षकों का ब्योरा मांगा है।

Bihar Teacher News :- गोपालगंज में 410 शिक्षकों पर होगी कार्रवाई, शिक्षा विभाग ने मांगी डिटेल्स, मचा हड़कंप

Bihar Education Department :- मामला : ई – शिक्षा कोष पोर्टल से जुड़ा है। गोपालगंज में, शिक्षा विभाग ने 410 शिक्षकों का ब्योरा मांगा है। इस कदम का उद्देश्य जांच करना और अनुशासनात्मक कार्रवाई करना है।

गोपालगंज में शिक्षा विभाग ने जिलेभर के 410 शिक्षकों का ब्योरा मांगा है। इन शिक्षकों ने पांच जून से 21 अगस्त तक ई – शिक्षा कोष पोर्टल पर ऑनलाइन उपस्थिति नहीं बनाई है। शिक्षा विभाग ने इसका ब्योरा तलब करने के साथ ही जांच शुरू कर दी है। शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के माध्यम से उपस्थिति नहीं बनाने वाले शिक्षकों के बारे में अद्यतन रिपोर्ट मांगी है।

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) स्थापना जमालुद्दीन ने बताया कि राज्य कार्यालय से प्राप्त पत्र के अनुसार जिले के 410 ऐसे शिक्षक हैं, जिन्होंने पांच जून से 21 अगस्त के बीच अपनी ऑनलाइन उपस्थिति ई-शिक्षा कोष पोर्टल के माध्यम से दर्ज नहीं की है। साथ ही इन शिक्षकों ने किन कारणों से अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं की है? इसका ब्योरा तलब किया गया है।

पांच जून से ऑनलाइन उपस्थिति

शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के उपस्थिति में सुधार लाने के लिए पांच जून से सभी सरकारी विद्यालय के शिक्षकों के लिए ई-शिक्षा कोष ऐप के माध्यम से ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करने का निर्देश दिया था। शिक्षकों के उपस्थिति की समीक्षा के क्रम में पाया गया कि 410 शिक्षकों ने अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं की है। ऑनलाइन उपस्थिति नहीं बनाने में सर्वाधिक बरौली प्रखंड के 54 शिक्षक शामिल हैं, जबकि सबसे कम नौ शिक्षक थावे प्रखंड के बताये जाते हैं।

यहां के शिक्षकों की उपस्थिति रही कम

बरौली प्रखंड में 54, बैकुंठपुर प्रखंड के 44, भोरे प्रखंड के 33, सदर प्रखंड के 50, हथुआ प्रखंड के 34 तथा कटेया प्रखंड के 16, थावे प्रखंड में नौ शिक्षकों ने 21 अगस्त तक अपनी उपस्थिति ई-शिक्षा कोष ऐप के माध्यम से दर्ज नहीं की है। इसके अलावा कुचायकोट प्रखंड के 40, माझा प्रखंड के 21, पंचदेवरी प्रखंड के 15, फुलवरिया प्रखंड के 17, सिधवलिया प्रखंड के 38, उचकागांव प्रखंड के 25 तथा विजयीपुर प्रखंड के 14 शिक्षक अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं कर रहे हैं। इन शिक्षकों पर कार्रवाई के लिए ब्योरा मांगा गया है।

इस आदेश के बाद एक बड़ा सवाल ये पैदा होता है कि…
ई – शिक्षा कोष पोर्टल जो ऑनलाइन पोर्टल है। इस पोर्टल पर कार्य एवं हाजिरी लगाने हेतु सभी ग्रामीण विद्यालयों तक इन्टरनेट (WIFI) या ब्रॉडबैंड की व्यवस्था क्या हो गई है अगर नहीं तो ये आदेश कितना वाजिब है। चलिए इसे भी एक बार दरकिनार कर दिया जाय और मान लिया जाय की हर कर्मचारी एंड्रॉयड फोन का इस्तेमाल करता है। क्या सरकार अनभिज्ञ है की एक सामान्य समस्या जो दूर दराज के गांव में है कि मोबाइल पर
इन्टरनेट स्लो होने की वजह से इंटरनेट के उपयोग तथा गूगल मैप पर लाइव लोकेशन भेजने में समस्या आ ही जाती है, ऐसे में यदि फीडिंग में समय लगता है तो उसका भुगतान स्टाफ करे। ये एक गंभीर सवाल है और इसका सीधा ताल्लुक हजारों परिवारों से है। इस प्रश्न का जवाब और कोई नहीं बिहार की नीतीश सरकार के पास ही है।

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