कृष्ण जन्माष्टमी माहात्म्य व पूजन विधि

कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे कृष्णा जन्माष्टमी 2024 गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, श्रीकृष्ण जयंती के रूप में भी जाना जाता है, एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार भगवान श्रीकृष्णजी के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। यह हिंदू चंद्रमण वर्षपद के अनुसार, कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के आठवें दिन (अष्टमी) को भाद्रपद में मनाया जाता है ।

भगवान विष्णु ने धरती पर पाप और अधर्म का नाश करने के लिए हर युग में अवतार लिया है। विष्णु जी के एक प्रमुख अवतार भगवान श्रीकृष्ण हैं, जिनका जन्म मथुरा की राजकुमारी देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान के रूप में हुआ था। श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस की जेल में हुआ, जो देवकी के भाई और मथुरा के अत्याचारी शासक थे। कान्हा का बचपन गोकुल में माता यशोदा और नंद बाबा की देखरेख में बीता। जन्म के तुरंत बाद, वासुदेव ने उन्हें कंस के भय से बचाने के लिए अपने चचेरे भाई नंद बाबा और यशोदा के पास छोड़ दिया। इस प्रकार, श्रीकृष्ण का बचपन गोकुल में प्रेम और सुरक्षा के वातावरण में बीता, जहाँ उन्होंने अपने अद्भुत लीलाओं से सभी का मन मोह लिया।

श्रीकृष्ण ने अपने जन्म से लेकर जीवन के हर पड़ाव पर चमत्कार दिखाए हैं। उनके जीवन से जुड़े अनेक किस्से और कहानियाँ हैं, जो मानव समाज को मूल्यवान शिक्षाएँ प्रदान करते हैं। श्रीकृष्ण ने अधर्म और पाप के खिलाफ सही मार्गदर्शन किया, जिससे धर्म की स्थापना हुई। उनके जन्मदिवस को पूरे भारत में एक उत्सव के रूप में हर साल भक्तगण हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस पावन अवसर पर, आइए जानें कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास और इसका महत्व। कृष्ण जन्माष्टमी न केवल भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में उनकी महिमा को दर्शाती है, बल्कि यह हमें सत्य, धर्म, और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित भी करती है।

कृष्ण जन्माष्टमी 2024
कृष्ण जन्माष्टमी हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त को मनाया जाएगा।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण त्रिदेवों में से एक भगवान विष्णु के अवतार हैं। उनके आशीर्वाद और कृपा को प्राप्त करने के लिए भक्तगण हर साल इस दिन व्रत रखते हैं और मध्य रात्रि में विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। भजन-कीर्तन करते हुए श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन के लिए मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है, और कुछ स्थानों पर दही-हांडी का भी उत्सव मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व भक्तों के लिए अद्वितीय श्रद्धा और आनंद का अवसर होता है, जो श्रीकृष्ण के जीवन और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

कैसे मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी?
जन्माष्टमी के अवसर पर भक्तगण श्रद्धा और भक्ति के साथ उपवास रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी की तिथि की मध्यरात्रि को लड्डू गोपाल की प्रतिमा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। घर में मौजूद बाल गोपाल को स्नान कराकर सुंदर वस्त्र धारण कराए जाते हैं, और फूल अर्पित कर धूप-दीप से उनकी वंदना की जाती है। भगवान श्रीकृष्ण को मक्खन, दूध, और दही बहुत प्रिय हैं, इसलिए उन्हें इनसे बना भोग अर्पित किया जाता है, जिसे बाद में प्रसाद के रूप में सभी में वितरित किया जाता है। यह पूजा विधि भक्तों को श्रीकृष्ण की लीला और उनके दिव्य प्रेम से जोड़ने का एक माध्यम है।

क्यों और कैसे मनाते हैं दही हांडी?

जन्माष्टमी के दिन कुछ स्थानों पर दही हांडी का आयोजन होता है, जिसका गुजरात और महाराष्ट्र में विशेष महत्व है। दही हांडी का इतिहास बहुत रोचक है। बालपन में कान्हा बहुत नटखट थे और उन्हें माखन, दही और दूध अत्यंत प्रिय थे। वह अपने सखाओं के साथ गांव के घरों से माखन चोरी करने के लिए प्रसिद्ध थे। गांव की महिलाएं माखन की मटकी को ऊंचाई पर लटका देती थीं, ताकि कान्हा उसे न चुरा सकें। लेकिन बाल गोपाल और उनके मित्र एक पिरामिड बनाकर मटकी से माखन चुरा ही लेते थे।
कृष्ण की इन्हीं शरारतों को स्मरण करते हुए जन्माष्टमी पर माखन की मटकी को ऊंचाई पर टांग दिया जाता है। लड़के नाचते-गाते पिरामिड बनाते हैं और मटकी तक पहुंचकर उसे फोड़ देते हैं। इस परंपरा को दही हांडी कहा जाता है, और जो लड़का सबसे ऊपर जाकर मटकी फोड़ता है, उसे ‘गोविंदा’ कहा जाता है। यह उत्सव श्रीकृष्ण के बाल्यकाल की शरारतों और उनकी मस्ती भरी लीला का प्रतीक है, जो जीवन में आनंद और उल्लास भरता है।

कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व और पूजन विधि :-

हिंदू धर्म में जन्माष्टमी व्रत को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि के चंद्रमा में हुआ था। इसलिए शास्त्रों में इस दिन व्रत रखने का नियम है। जन्माष्टमी के व्रत को बच्चे, जवान, वृद्ध सभी लोग कर सकते हैं।
भारतवर्ष के कुछ प्रांतों में जन्माष्टमी का व्रत सूर्य उदय कालीन अष्टमी तिथि को तथा कुछ जगहों पर तत्काल व्यापिनी अर्धरात्रि में पडने वाली अष्टमी तिथि को किया जाता है। सिद्धांत रूप से अगर देखा जाए तो इसकी मान्यता अधिक है। जिन लोगों ने खास विधि विधान के साथ वैष्णव संप्रदाय की दीक्षा ग्रहण की है वह लोग वैष्णव कहलाते हैं। बाकी अन्य सभी लोग स्मार्त कहलाते हैं, पर इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि यह सभी लोग भगवान विष्णु की पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं। सभी लोग समान रूप से भगवान विष्णु की पूजा उपासना कर सकते हैं। लोक व्यवहार के अनुसार वैष्णव संप्रदाय के साधु संत उदय कालीन एकादशी तिथि को जन्माष्टमी का व्रत करते हैं।

जन्माष्टमी पूजन विधि :-

  1. जन्माष्टमी के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के पश्चात व्रत करने का संकल्प करें।

संकल्प :-

“हे भगवान, मैं आपकी विशेष कृपा पाने के लिए व्रत करने का संकल्प लेता हूं। हे परमेश्वर आप मेरे द्वारा किए गए सभी पापों और बुरे कर्मों का नाश करें।”

  1. इसके पश्चात पूरा दिन और पूरी रात निराहार व्रत करें। अगर आप व्रत करने में सक्षम नहीं है तो आप दिन में फलाहार और दूध भी ले सकते हैं।
  2. व्रत के दिन पूरा दिन और पूरी रात भगवान बालकृष्ण का ध्यान, जप, पूजा, भजन, कीर्तन आदि करें।
  3. जन्माष्टमी के दिन भगवान के दिव्य स्वरूप का दर्शन करें और उनकी कथा सुनाएं। अपनी क्षमता अनुसार ब्राह्मणों और गरीब लोगों को दान दें।
  4. जन्माष्टमी की पूजा करने के लिए एक लाल कपड़े पर बालकृष्ण और देवकी माता की मूर्ति की स्थापना करें। आप अपनी क्षमता के अनुसार सोने, चांदी, पीतल, मिट्टी की मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।
  5. भगवान श्री कृष्ण के आसपास गांव, कालिया नाग मर्दन, गिरिराज धरण, बकासुर वध, अघासुर वध, पूतना वध, गज, मयूर, अद्भुत चित्रकृत्य से सुंदर झांकी सजाए।
  6. माता देवकी और बालकृष्ण की षोडशोपचार द्वारा पूजन करें। पूजा करने के बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें।

ओम नमो देवी श्रिये

  1. पंचामृत से लड्डू गोपाल का अभिषेक करके भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें और लड्डू गोपाल को श्रद्धा पूर्वक झूला झुलाए।
  2. पंचामृत में तुलसी के पत्ते डालकर माखन मिश्री और धनिया की पंजीरी बनाकर भगवान का भोग लगाएं। इसके पश्चात आरती करके सभी भक्तों को प्रसाद बांटे। इस दिन चंद्रमा की पूजा करना भी शुभ माना जाता है।

जन्माष्टमी व्रत का महत्व :-

  1. शास्त्रों में जन्माष्टमी व्रत को व्रत राज कहा गया है। भविष्य पुराण में बताया गया है कि जिस घर में यह व्रत किया जाता है वहां पर अकाल मृत्यु, गर्भपात, वैधव्य, दुर्भाग्य और कलह आदि का भय समाप्त हो जाता है।
  2. जो भी मनुष्य एक बार इस व्रत को करता है वह इस संसार के सभी सुखों को भोग कर मृत्यु के पश्चात वैकुंठधाम में निवास करता है।
  3. जन्माष्टमी के दिन असत्य ना बोले। इस तरह से सभी शारीरिक इंद्रियों को संयम में रखकर किया गया व्रत मनोवांछित फल देता है।
  4. सिर्फ एक इंद्रियों का संयम अर्थात केवल अन्न का त्याग कर देने से तथा अन्य इंद्रियों को संयम में ना रखने से किसी भी उपवास का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए जहां तक संभव हो सके नियम पूर्वक और संयम पूर्वक व्रत करना चाहिए।
  5. जो लोग पूजा करने में समर्थ नहीं है या अस्वस्थ हैं उन्हें सिर्फ भगवान् कृष्ण का पूजन करके भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए।
  6. जो लोग व्रत कर सकते है उन्हें रात्रि 12:00 बजे भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाना चाहिए। अगले दिन सुबह स्नान करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण की पूजा करके व्रत का पारण करना चाहिए।
  7. अगर कोई पहले ही भोजन करना चाहता है तो रात्रि में भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मनाकर प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात भोजन कर सकता है।
  8. भगवान कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत सभी पापों का नाश करता है। श्रद्धा और नियम पूर्वक जन्माष्टमी का व्रत करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

जन्माष्टमी व्रत के लाभ :-

जन्माष्टमी व्रत का लाभ पाने के लिए आप भगवान कृष्ण को कुछ विशेष चीजें अर्पित कर सकते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से कुछ ऐसी चीजों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्हें श्रीकृष्ण अर्पित करने से आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

  1. धन लाभ पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान राधा कृष्ण के मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण और राधा को पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  2. जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण की खास कृपा पाने के लिए विधि विधान से पूजा करने के पश्चात भगवान श्री कृष्ण को सफेद मिठाई, साबूदाने या फिर चावल की खीर का भोग लगाएं। ऐसा करने से आपको भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा मिलेगी।
  3. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धन लाभ पाने के लिए जन्माष्टमी के दिन श्रीकृष्ण को दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर स्नान कराएं।
  4. अगर बार-बार आपके काम में रुकावट आ रही है तो जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंदिर में जाकर एक जटा वाला नारियल और 11 बादाम अर्पित करें। ऐसा करने से आपके कार्य में आ रही रुकावट दूर हो जाएगी।
  5. मनचाही नौकरी प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन चावल की खीर बनाकर भगवान कृष्ण को भोग लगाएं। और बाद में छोटी कन्या में वितरित करें।
  6. जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के पश्चात पूजा स्थल से ₹1 का सिक्का उठा कर अपने पर्स में रखें। ऐसा करने से आपका पर्स हमेशा भरा रहेगा।
  7. भगवान श्री कृष्ण का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन रात्रि 12:00 बजे भगवान श्री कृष्ण का दूध से अभिषेक करें।
  8. वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए जन्माष्टमी के दिन पीली चीजों का दान करें।
  9. विद्या लाभ प्राप्त करने के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख अर्पित करें।
  10. अगर आप स्वास्थ्य लाभ पाना चाहते हैं तो जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मंत्र का जाप करें।

ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः

रुद्र अभि सिंह

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