ट्रंप प्रशासन पर भारतीयों का प्रभाव, उषा चिलकुरी की चर्चा
लेखक वरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के समय की एक दिलचस्प घटना उषा चिलकुरी वान्स को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाने की। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उषा को प्रथम एशियन-अमेरिकी सनातनी-विप्र महिला बताते हुए उन्हें निर्वाचित उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से अधिक विवेकशील और चुंबकीय कहा। हालांकि, अमेरिकी संविधान के तहत उपराष्ट्रपति पद के लिए केवल अमेरिका में जन्मे नागरिकों को ही उम्मीदवारी का अधिकार है। फिर भी ट्रंप का यह बयान भारतीय समुदाय और उषा के प्रभाव को रेखांकित करता है।
उषा चिलकुरी जिनका परिवार तेलुगू विप्र वर्ण से है एक प्रमुख वकील और पूर्व सैनिक जेम्स डेविड वान्स की पत्नी हैं। उषा के माता-पिता चेन्नई में वैज्ञानिक थे। और उनके दादा पंडित चिलुकुरी बुच्चिपापय्या शास्त्री संस्कृत के पंडित और वेदशास्त्री रहे। उषा ने अपनी पढ़ाई येल विश्वविद्यालय से की और लॉ जर्नल की संपादक भी रही थीं। वे मीडिया की स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय थीं और उनके मुवक्किलों में प्रमुख कंपनियां जैसे पैरामाउंट फिल्म्स और वाल्ट डिज्नी शामिल हैं।
उषा की शादी 2014 में हुई, जब वे अमेरिकी उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स की सहायिका थीं। उनका परिवार दक्षिण भारतीय धार्मिक परंपराओं में विश्वास रखता है, और वे अक्सर वरलक्ष्मी व्रत करते हैं। इस प्रकार, उषा के परिवार और उनके व्यक्तित्व ने भारतीय समुदाय की उपस्थिति को अमेरिकी राजनीति में मजबूत किया है।
वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान भारतीय समुदाय के लिए गर्व की बात है, और इससे यह भी स्पष्ट होता है कि ट्रंप प्रशासन पर भारतीयों का दबदबा बना रहेगा।