सम्पादकीय

कौन सा देश सबसे पहले महिलाओं को मतदान का अधिकार देने वाला बना? जानिए कैसे मिला वोटिंग राइट

दुनिया भर में आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं। एक समय था जब महिलाओं को मतदान तक का अधिकार नहीं होता था। हालांकि अब महिलाओं को मतदान का अधिकार मिलने की वजह से अब महिलाओं से जुड़ें मुद्दों पर भी खास ध्यान रखा जाता है। महिलाओं को सबसे मतदान का अधिकार देने वाले देश की बात करें तो यह न्यूजीलैंड हैं। साल 1893 में न्यूजीलैंड ने पहली बार महिलाओं को मतदान का अधिकार प्रदान किया। महिलाओं को मतदान का अधिकारी देना एक महत्वपूर्ण कदम था, जो न केवल महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक नए युग की शुरुआत थी। इसके साथ ही महिलाओं के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकारों को सम्मान मिला।

 

महिलाओं ने उठाई आवाज

बता दें कि महिलाओं के लिए मतदान का अधिकार प्राप्त करने के संघर्ष का इतिहास बहुत लंबा और कठिन था। 19वीं शताब्दी में महिलाओं को समाज में केवल घरेलू कार्यों तक सीमित रखा गया था। उनका कोई अधिकार नहीं था, न तो शिक्षा में और न ही राजनीति में। लेकिन समय के साथ, महिलाओं ने अपनी स्थिति में सुधार के लिए आवाज उठानी शुरू की। महिलाएं अपने अधिकारों के लिए संगठित होनी लगीं, और उन्हें यह महसूस हुआ कि वे समाज के समान हिस्सेदार हैं और उन्हें भी अपने देश के भविष्य के बारे में निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए।

न्यूजीलैंड ने दिया वोटिंग का अधिकार

न्यूजीलैंड में महिलाओं के मतदान अधिकार के लिए संघर्ष की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में हुई। न्यूजीलैंड में महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू हुआ था, और इस संघर्ष में प्रमुख भूमिका निभाई थी कैटरीना स्टीवंस और एमिली सॉकर जैसी महिला नेताओं ने। ये महिला नेता महिलाओं को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष कर रही थीं और इस आंदोलन को “सफ्रिजेट मूवमेंट” के रूप में जाना जाता है। इस संघर्ष ने धीरे-धीरे सरकार और समाज के भीतर महत्वपूर्ण बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए। आखिरकार, न्यूजीलैंड के तत्कालीन प्रधानमंत्री रिचर्ड सोडेन के नेतृत्व में 19 सितंबर 1893 में महिलाओं को मतदान का अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

महिलाओं ने शांतिपूर्वक चलाया आंदोलन

यह आंदोलन एक प्रेरणादायक उदाहरण बना, जिसने बाद में अन्य देशों को भी महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने के लिए प्रेरित किया। इन महिलाओं ने अपने संघर्ष को बिना हिंसा और संघर्ष के, शांति से चलाया। कठिन संघर्ष और विभिन्न आंदोलनों के बाद न्यूजीलैंड में 1893 में महिलाओं को मतदान का अधिकार मिला। यह घटना न केवल न्यूजीलैंड के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए ऐतिहासिक थी। इस अधिकार को पाने के लिए कई वर्षों तक महिलाओं ने निरंतर संघर्ष किया, और अंत में उनकी मेहनत रंग लाई। न्यूजीलैंड ने यह कदम उठाकर अन्य देशों को दिखाया कि महिलाओं को उनके अधिकार देना समाज की प्रगति के लिए आवश्यक है।

मतदान के अधिकार का महत्व

महिलाओं को मतदान का अधिकार मिलने के बाद, उनका राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन बदल गया। उन्होंने राजनीति में सक्रिय भाग लिया और धीरे-धीरे उनके प्रतिनिधित्व में वृद्धि हुई। यह महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। न्यूजीलैंड के बाद, कई अन्य देशों ने भी महिलाओं को मतदान का अधिकार देने की प्रक्रिया शुरू की। इसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हैं। भारत में 1950 में संविधान लागू होने के साथ ही पुरुषों के साथ ही महिलाओं को भी वोट डालने का अधिकार मिल गया था। न्यूजीलैंड की यह पहल आज भी पूरे विश्व में महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि यदि महिलाओं को बराबरी का मौका दिया जाए, तो वे समाज की प्रगति में सक्रिय योगदान कर सकती हैं।

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