खबर का असर अधीक्षक ने दिया क्लीनचिट, नोडल ने किया निलंबित..

ब्यूरो दिनेश कुमार शुक्ल

लाइफ केयर क्लिनिक में दस वर्षीय बालक की हुई मौत के मामले में बड़ी कार्यवाही

सीतापुर । लहरपुर कस्बे में डेढ़ माह पूर्व लाइफ केयर क्लिनिक में हुई दस वर्षीय मासूम की मौत की जांच जिला स्तरीय नोडल अधिकारी के द्वारा की जा रही है। जाँच में एक बात तो साफ हो गई है कि कस्बे के अस्पतालों और स्थानीय सीएचसी अधीक्षक के बीच सांठगांठ चल रही थी जिसकी पोल खुलती नजर आ रही है बताते चलें कि स्थानीय कस्बे के लाइफ केयर हॉस्पिटल में बीते डेढ़ माह पूर्व एक दस वर्षीय बच्चे की इलाज के दौरान मौत हो जाने के बाद परिजनों ने हंगामा करते हुए डॉ नजीमुद्दीन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कोतवाली में तहरीर दी गईं थी ।

जिसके बाद अपनी खाऊ कमाऊ नीति की लेकर काफ़ी समय से चर्चित सीएचसी अधीक्षक अरविन्द बाजपेई ने अस्पताल संचालन पर रोक लगाते हुए पूरे मामले की जाँच करने की बात कही थी, सूत्रों की मानें तो एक मोटी रकम लेकर उन्होंने अगले ही दिन चाबी वापस कर अस्पताल संचालन से रोक हटा दी थी स्थानीय नागरिकों के स्वास्थ्य से भी इनका कोई सरोकार नहीं, मेडिकल कचरा अस्पताल के बाहर डंप किया जाता है ।ऐसे में जिला और स्थानीय सीएचसी अधीक्षक की भ्रष्ट कार्यप्रणाली किसी को भी निराश कर देगी।जब पीड़ित पिता ने उच्चाधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई इसके बाद उच्चाधिकारियों के आदेश पर जिले के नोडल अधिकारी व उप मुख्य चिकित्साधिकारी मनोज देशमणि ने पूरे प्रकरण की जांच कर अपनी रिपोर्ट सीएमओ सीतापुर की सौंप दी है।

जांच रिपोर्ट आने पर स्वास्थ्य विभाग जिस लाइफ केयर क्लिनिक को सीएचसी अधीक्षक ने क्लीन चिट दे दी थी उसके पंजीकरण को अग्रिम आदेशों तक के लिए रद्द करते हुए अस्पताल संचालन पर रोक लगा दी है। दिलचस्प पहलू ये है कि ये कोई इकलौता मामला नहीं है, ऐसे दर्जनों अस्पताल और पैथालाजी सेंटर स्थानीय सीएचसी अधीक्षक अरविन्द बाजपेई की खाऊ – कमाऊ नीति की छत्रछाया में लहरपुर क्षेत्र में फल फूल रहे हैं । इक्का दुक्का मामलों को छोड़ दें तो दिन रात आम आदमी की जान की चिंता किए बगैर जेब पर डाका डालने में मशगूल ऐसे संस्थान सीएचसी अधीक्षक अरविन्द बाजपेई और जिले के स्वास्थ्य महकमे से अभय दान पाकर दिन रात फल फूल रहे हैं।

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