क्यों भारत के नाम पर मुइज्जू के तेवर पड़े ढीले.…
मालदीव के भारत विरोधी और चीन समर्थक माने जाने वाले राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सुर अब बदलने लगे हैं।
भारत ने कर्ज के जाल में फंसे मालदीव की वित्तीय मदद से चीन और भारत की मदद ने मालदीव को डिफॉल्ट होने से बचा लिया है।
भारत विरोधी मुहिम से सत्ता में आए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को अब भारत की अहमियत समझ में आ गई हैं, कर्ज से जूझते मालदीव की वित्तीय मदद के लिए मुइज्जू ने भारत को आभार जताया है। उन्होंने देश की कमजोर अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में मदद के लिए भारत और चीन दोनों ही देश को एक साथ शुक्रिया किया है। मालदीव भारी कर्ज संकट से जूझ रहा था।जिससे उबरने में भारत और चीन दोनों ही देश उसकी मदद कर रहे हैं।
26 जुलाई को देश के 59वें स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित एक आधिकारिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि देश पर चढ़े कर्ज को चुकाने में चीन और भारत ने सबसे अधिक मदद की है।
मुइज्जू ने एक कार्यक्रम में कहा है कि मैं मालदीव के लोगों की ओर से चीनी सरकार और भारत सरकार को हमारी आर्थिक संप्रभुता बनाए रखने और अर्थव्यवस्था में सहयोग के लिए धन्यवाद देता हूं।
भारत और चीन के साथ मुइज्जू के रिश्ते
मुइज्जू पिछले साल भारत विरोधी मुहिम चलाकर सत्ता में आए थे, उन्होंने वादा किया था कि अगर वो सत्ता में आए तो द्वीप देश में मौजूद भारत के लगभग 80 सैनिकों को वापस देश भेज देंगे। ये भारतीय सैनिक भारत की तरफ से मालदीव को दिए गए HAL ध्रुव हेलिकॉप्टर्स और डोर्नियर एयरक्राफ्ट का संचालन करते थे, जिनका इस्तेमाल मानवीय मदद के लिए किया जाता है।
मुइज्जू ने सत्ता में आते ही भारतीय सैनिकों को वापस भेजने की अपनी कसम निभाई और इस साल 10 जून तक सभी भारतीय सैनिक वापस आ गए थे ।उनकी जगह पर भारत हालांकि टेक्निकल एक्सपर्ट्स की टीम मालदीव भेजने में कामयाब रहा।
चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने सत्ता में आते ही चीन के साथ मालदीव के रिश्तों को मजबूत किया है। इसी साल की शुरुआत में मुइज्जू चीन दौरे पर गए थे, जिस दौरान दोनों देशों ने अपने संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया और 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किए, इसमें चीन के साथ एक सैन्य सहायता समझौता भी शामिल था।
मुइज्जू ने अपने चीन दौरे में चीनी जहाजो को मालदीव के समुद्री क्षेत्र में डॉक करने की अनुमति भी दी पिछले साल श्रीलंका ने विदेशी जहाजों के अपने समुद्री क्षेत्र में डॉक करने पर रोक लगा दी थी । जिससे परेशान चीन ने मालदीव का सहारा लिया है।
भारत विरोधी मुइज्जू के सुर कैसे बदले?
भारतीय सैनिकों की वापसी को लेकर हुए विवाद के बाद हाल के महीनों में भारत-मालदीव के रिश्तों में कड़वाहट दूर होते देखी गई है। 9 जून को मुइज्जू प्रधानमंत्री नरेंद्र के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने भारत आए थे, उन्होंने 400 करोड़ रुपये की मदद के लिए भारत को धन्यवाद दिया और भारत से मांग की कि मालदीव को दिए गए कर्ज को रिस्ट्रक्चर किया जाए।
भारत के प्रति मुइज्जू की नीति में बड़ा बदलाव तब आया जब इसी साल मई में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मालदीव को चेतावनी दी कि अगर उसने बड़े नीतिगत बदलाव नहीं किए तो उसे कर्ज संकट का सामना करना पड़ सकता है।
आईएमएफ ने कहा कि मालदीव का चालू खाता घाटा ज्यादा रहने की संभावना है और इसका कुल राजकोषीय घाटा और सरकारी कर्ज भी ज्यादा रहने का अनुमान है।
इसके बाद, मुइज्जू सरकार ने चीन से कर्ज रिस्ट्रक्चर करने की मांग की, मालदीव को चीन ने कथित तौर पर 1. 3 अरब डॉलर से अधिक का कर्ज दिया है जिसे चुकाने में मालदीव ने असमर्थतता जाहिर करते हुए रिस्ट्रक्चरिंग की मांग की थी। चीन ने शुरू में मालदीव की इस मांग पर आपत्ति जाहिर की थी। लेकिन मुइज्जू ने 26 जुलाई की बैठक में कहा कि चीन ने कर्ज चुकाने के लिए मालदीव को अब पांच साल की मोहलत दे दी है।